भगवान गणेशजी की पूजा में क्यों जरूरी है दूर्वा? जानिए इसकी कथा और दूर्वा चढ़ाने के नियम
हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना जाता है, यदि व्यक्ति कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत करता है या फिर कोई धार्मिक-मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन करता है तो सभी देवी देवताओं से पहले भगवान गणेश जी की पूजा करता है, मान्यता अनुसार यदि प्रथम पूजनीय गणेश जी की पहले पूजा की जाए तो इससे कामकाज सफल होते हैं और किसी भी कार्य में विघ्न उत्पन्न नहीं होता है, जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं हिंदू धर्म में हर देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा विधि और पूजा सामग्री या अलग-अलग होती है।
भगवान गणेश जी की पूजा के लिए भी सामग्रियां अलग है और इनकी पूजा भी अलग बताई गई है, विशेष रूप से गणेश जी की पूजा में दूर्वा घास का इस्तेमाल किया जाता है, गणेश जी को दूर्वा अति प्रिय है परंतु आखिर इनको दूर्वा घास क्यों अर्पित किया जाता है? आज हम आपको इसके पीछे की कथा बताने वाले हैं।
भगवान गणेशजी की पूजा में दूर्वा घास क्यों अर्पित किया जाता है? जानिए कथा
अगर आप भी भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं तो आप इनकी पूजा में दूर्वा घास का इस्तेमाल करते होंगें, परंतु बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जिनको इस बात की जानकारी होगी कि आखिर इनकी पूजा में दूर्वा घास का प्रयोग करना क्यों जरूरी है, अगर हम पौराणिक कथा के अनुसार देखे तो अनलासुर नामक एक दैत्य हुआ करता था, यह लोगों को काफी परेशान करता था, इसके आतंक की वजह से लोग काफी परेशान रहते थे, चारों तरफ इसका आतंक बहुत अधिक फैला हुआ था, इस दैत्य का आतंक दिन पर दिन बढ़ता जा रहा था, जिसको देखकर सभी देवी-देवता काफी परेशान हो गए थे, कोई भी देवता इस दैत्य को मारने में सक्षम नहीं हो पा रहा था, इस राक्षस के आतंक से परेशान होकर सभी देवी-देवताओं ने यह योजना बनाई कि वह भगवान गणेश जी की शरण में जाएंगे, तब सभी देवता भगवान गणेश जी के पास गए और उन्होंने अपनी परेशानी बताई।
भगवान गणेश जी ने अनलासुर को निगल लिया था, जब भगवान गणेश जी ने इस राक्षस को निगल लिया तो भगवान के पेट में बहुत अधिक जलन उत्पन्न होने लगी, तब पेट की जलन को शांत करने के लिए मुनियों ने भगवान गणेश जी को दूर्वा घास खाने के लिए दिया था, जब दूर्वा घास का सेवन गणेश जी ने किया तो इनके पेट की जलन शांत हो गई थी, तभी से भगवान गणेश जी की पूजा में दूर्वा घास को अर्पित करना अनिवार्य माना जाता है।
भगवान गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने के नियम
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश जी की पूजा आराधना में अगर इनको दूर्वा अर्पित किया जाए तो इससे व्यक्ति को सभी सुख और संपदा की प्राप्ति होती है, अगर आप गणेश जी की पूजा में दूर्वा अर्पित कर रहे हैं तो इनको दूर्वा का जोड़ा बना कर अर्पित करें, आप 11 दुर्वा घास के जोड़ों को भगवान गणेश जी को अर्पित कीजिए, परंतु आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि दूर्वा घास आप किसी साफ सुथरी जगह से तोड़े, कभी भी गंदे स्थान से दूर्वा घास तोड़कर भगवान गणेश जी को अर्पित मत कीजिए, जब आप गणेश जी को दूर्वा अर्पित कर रहे हैं तो आपको निम्नलिखित 11 पवित्र मंत्रों का जाप करना होगा।
भगवान गणेशजी को दूर्वा अर्पित करने के पवित्र मंत्र
- ऊँ गं गणपतेय नम:
- ऊँ गणाधिपाय नमः
- ऊँ ईशपुत्राय नमः
- ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
- ऊँ उमापुत्राय नमः
- ऊँ मूषकवाहनाय नमः
- ऊँएकदन्ताय नमः
- ऊँ इभवक्त्राय नमः
- ऊँ कुमारगुरवे नमः
- ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
- ऊँ विनायकाय नमः
उपरोक्त भगवान गणेश जी की पूजा में दूर्वा घास अर्पित करना क्यों जरूरी है, इसकी पौराणिक कथा के बारे में जानकारी दी गई है, इसके साथ ही भगवान गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने के नियम और दूर्वा अर्पित करने के पवित्र मंत्रों के बारे में बताया गया है, यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो आप अन्य लोगों में शेयर करना ना भूलें