अंग्रेजी में भारत को India क्यों कहा जाता है, क्या आपने कभी सोचा है ?
भारत इस साल अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है, हमेशा की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री लालकिले पर झंडा फहराएंगे और देश के हित में कुछ शब्द कहेंगे. हमने आजादी से लेकर नव भारत के बारे में बचपन से बहुत कुछ सुना है और देश की आजादी में शहीद हुए बहुत से वीरों की गाथा भी सुनी है. मगर आज भी बहुत सी बातें हैं जो बहुत से लोगों के जहन में आती रहती हैं. जिसमें एक बात का जिक्र हम करना चाहेंगे. दरअसल जापान को अंग्रेजी में Japan, अमेरिका को America और यहां तक की हमारा पड़ोसी देश Pakistan को भी वही बोला जाता है जो हिंदी में बोला जाता है. मगर भारत एक ऐसा देश है जिसे अंग्रेजी में India कहा जाता है. अंग्रेजी में भारत को India क्यों कहा जाता है, इस बारे में ज्यादातर लोगों ने तो सोचा ही नहीं होगा.
अंग्रेजी में भारत को India क्यों कहा जाता है
भारत का प्राचीन नाम आर्यावर्त था और ऋषियों के जमाने में भारत को आर्यावर्त ही कहा जाता था, मगर जब अंग्रेजों ने यहां हुकुमत किया तो वे आर्यावर्त नाम नहीं ले पाते थे. तो इस नाम को उन अंग्रेजों ने अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से लेना शुरु कर दिया, किसी ने इसे सिंधु कहा तो किसी ने हिंस्दुस्थान कहा. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को India या हिन्दुस्तान बनाने के पीछे दो मुख्य स्रोत थे जिसमें Irani और यूनानी नाम थे. ईरानी या पुरानी फ़ारसी में सिंधु शब्द का परिवर्तन हिंदू के रूप में हुआ और उससे बना हिंदुस्तान, जबकि यूनानी में ए बना इंडो या इंडोस. बस इसका A शब्द लैटिन भाषा में पहुंच गया और इसी से बना India इंडिया बना था. मगर तब ये सर्वमान्य नहीं था और आखिरी किसी और बनाए हुए शब्द को हम अपने देश के नाम से क्यों पुकारें ? ये सवाल तब खड़ा हुआ था मगर जब अंग्रेज भारत आए तो इन्होंने भारत को इंडिया बुलाना शुरु कर दिया. उन्होंने अपनी हर बात और कागज में भारत को इंडिया ही कहा और लिखा, इसके बाद यहां के लोग भी भारत को इंडिया बुलाने लगे. फिर इसके बाद भारत का अंग्रेजी नाम भारत लिया जाने लगा. वैसे अगर तर्कों को उठाया जाए तो भारत को हिंदुस्तान और इंडिया जैसे शब्दों को बनाने का पूरा श्रेय ईरानी और यूनानी को जाता है क्योंकि जब अंग्रेज भारत में व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से आए तो उनके साथ दूसरे देशों के लोगों ने भी हाथ आजमाया. उन देशों में इरानी और यूनानी भी शामिल थे जिसमें से कुछ अपने धर्म का प्रचार करने के लिए भारत में आए थे.