दूल्हा–दुल्हन को शादी में गठबंधन क्यों बांधा जाता है? जाने इस परंपरा के पीछे का लॉजिक
हिंदू धर्म में जब भी कोई शादी होती है तो कई रस्मों को निभाया जाता है। हर रस्म का अपना एक खास महत्व होता है। जयमाला से लेकर मांग में सिंदूर भरने और सात फेरों तक हम सनातन धर्म की इन धार्मिक परंपराओं को दिल से निभाते हैं। शादी में वर वधू का गठबंधन भी किया जाता है। इसमें दुल्हन की चुनरी को दूल्हे के पटके से बांधा जाता है। इन दोनों के बीच एक जोरदार गांठ लगाई जाती है जिसे गठबंधन कहा जाता है।
शादी में वर-वधू इसलिए बांधते हैं गठबंधन
गठबंधन की इस गांठ में कई बार सिक्का, चावल, दूर्वा और फूल जैसी चीजें बांधी जाती हैं। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर शादी में यह गठबंधन की राशि क्यों निभाई जाती है। इसके पीछे का कारण बड़ा ही दिलचस्प है। इसे जानने के बाद आपके भी सारे डाउट क्लियर हो जाएंगे। तो चलिए फिर फटाफट इस राज से पर्दा उठा देते हैं।
हिंदू धर्म से होने वाली शादियों में गठबंधन को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यह रस्म निभाई जाए तो दूल्हा दुल्हन को जीवन में कई बाधाएं आती हैं। इस गठबंधन को एक पवित्र बंधन के रूप में देखा जाता है। दुल्हन की चुनरी और दूल्हे के पटके के बीच लगी यह गांठ काफी शुभ मानी जाती है। यह गांठ मजबूत विवाह का प्रतिक माना जाता है।
इन चीजों का प्रतीक होता है गठबंधन
आमतौर पर यह गठबंधन बांधने का काम दूल्हे की बहन करती है। माना जाता है कि यह गांठ जितनी मजबूत होगी, दूल्हा दुल्हन का रिश्ता भी उतना ही मजबूत होगा। यह गांठ सिर्फ दूल्हा दुल्हन ही नहीं बल्कि दो परिवारों को जोड़ने का प्रतीक भी होती है। यह गांठ भगवान के समक्ष एक तरह की प्रतिज्ञा होती है। इसका अर्थ है कि पति और पत्नी एक दूसरे के प्रति जिंदगीभर ईमानदार और वफादार रहेंगे।
गठबंधन की यह गांठ वर वधू के भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक एकता का प्रतीक होता है। वहीं गांठ में रखे जाने वाले सिक्का, चावल, दूर्वा और फूल इस बात प्रतिक है कि पति और पत्नी का धन-धान्य सब पर समान अधिकार रहेगा। यह दोनों अपने जीवन के सुख और दुख सभी साथ मिलकर बाटेंगे।
उम्मीद है कि आपको ये जानकारी पसंद आई होगी। अब आप शादी में गठबंधन की परंपरा का महत्व जान गए हैं। कृपया ये जानकारी आज के युवाओं के साथ भी शेयर करें। ताकि वे भी अपनी संस्कृति को गहराई से समझ सकें।