जानिये क्या है मासिक धर्म और नाक की नथ का कनेक्शन, इसे पहनने के हैं कई लाभ, जाने महत्व
हिंदू धर्म में महिलाएं अक्सर गहनों से लदी रहती हैं। इसकी एक वजह हमारी मान्यताओं में बताई गई 16 श्रृंगार की अहमियत है। 16 श्रृंगार में नाक की नथ भी काफी मुख्य भूमिका निभाती है। आपने भी देखा होगा कि शादी के बाद कई महिलाएं अपनी नाक में नथ पहनने लगती हैं। वैसे आजकल नोज पिन का चलन भी बढ़ गया है। वहीं फैशन के चलते कुंवारी लड़कियां भी नाक में नथ शौक से पहनती हैं।
नथ पहनने का धार्मिक महत्व
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर महिलाएं शादी के बाद नाक में नथ क्यों पहनती हैं? क्या यह सिर्फ एक परंपरा का हिस्सा है या फिर इसके कुछ फायदे भी हैं? आपको जान हैरानी होगी कि नथ पहनने से शरीर को बहुत से फायदे होते हैं। सबसे पहले इसका धार्मिक महत्व जान लेते हैं।
जैसा कि हमने आपको बताया नथ महिलाओं के सोलह श्रृंगार का हिस्सा होती है। इसे सौभाग्य की निशानी माना जाता है। इसे पहनने से महिला का सुहाग और शादीशुदा जीवन अच्छा चलता है। यह नाथ आपके शरीर में एक पॉजिटिव एनर्जी का संचार करती है। इससे आपके आसपास का वातावरण खुशहाल बना रहता है।
नथ पहनने के वैज्ञानिक लाभ
नाक में नथनी से महिलाओं को मासिक धर्म में होने वाले दर्द से काफी राहत मिलती है। आयुर्वेद की मानें तो नाक के एक हिस्से में छेद करने से मासिक धर्म में दर्द कम होता है। बहुत से लोग इस फायदे से अनजान रहते हैं। इसलिए जब किसी लड़की को मासिक धर्म शुरू हो जाए तो उसे नाक में नथ पहना देना चाहिए। इससे उसे दर्द में काफी हद तक राहत मिलेगी।
आयुर्वेद यह भी दावा करता है कि प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाली पीड़ा को रोकने में नाक की नथ अहम भूमिका निभाती है। आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं के नाक के हिस्से का छेद उनके प्रजनन अंगों से कनेक्टेड रहता है। इसलिए नाक में नथ पहनने के बाद जो महिला गर्भवती होती है और बच्चे को जन्म देती है तो इस दौरान उसे दर्द में काफी हद तक राहत मिल जाती है।
फैशन सिंबल है नथ
आज के जमाने में किसी लड़की को नाक में नथनी पहनने के लिए फोर्स नहीं करना पड़ता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नथ अब फैशन का बहुत बड़ा हिस्सा बन चुकी है। लड़कियां इसे साड़ी लहंगे और पारंपरिक भारतीय पोशाकों के अलावा वेस्टर्न ड्रेस पर भी पहनना पसंद करती हैं। नथनी के अलावा अलग-अलग डिजाइन वाली नोज पिन भी इस समय चलन में है। यह महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करती है।