4 बार मुख्यमंत्री रही मायावती जीवन भर क्यों रही कुवाँरी? वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे
एक समय था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति पार्टियों में सिर्फ दो नाम सामने आते थे. एक समाजवादी पार्टी और दूसरी बहुजन समाज पार्ची यानी बएसपी. दलित राजनीति करने वाले कांशीराम ने बसपा की स्थापना की और अपनी सबसे प्रिय शिष्या मायावती को अपने ब में आज से एक साल पहले दो ही पार्टियां छाई हुई थीं. एक थी समाजवादी पार्टी और दूसरी बहुजन समाज पार्टी यानि बसपा. दलित राजनीति करने वाले कांशीराम ने बसपा की स्थापना की थी और अपनी सबसे प्रिय शिष्या मायावती को अपने बाद इस पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.
इस मौके पर मायावती को दलितों का खूब साथ मिला और वे यूपी की 4 बार मुख्यमंत्री बनीं लेकिन सवाल ये है कि 4 बार मुख्यमंत्री रही मायावती जीवन भर क्यों रही कुवाँरी ? आखिर क्या थी इसके पीछे की वजह.
आपको शायद ही इस बात की जानकारी होगी कि मायावती को एक जमाने में बहनजी के नाम से पुकारा जाता था. जिस समय हर किसी ने उऩ्हें अपनी बहन ही मान लिया था. मायावती एक जमाने में सिविल सेवा करना चाहती थी और उनका ख्वाब डीएम बनना था. हालांकि कांशीराम ने अपनी राजनीति नजरिये से बहनजी यानि मायावती को पहचान लिया था. उन्होंने अपने एक भाषण में मायावती का नाम लिया और उन्हें राजनीति में उतार लिया.
इसके कुछ समय बाद बीएसपी की पूरी जिम्मेदारी मायावती को सौंप दी. कांशीराम ने जब साल 1984 में यूपी के दलितों को एक करने के लिए बसपा पार्टी बनाई थी जिसमें मायावती का बहुत मजबूत हाथ रहा है. साल 2001 में मायावती को उन्होंने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. एक समय था जब कांशीराम का मायावती के प्रति इतना लगाव देखते हुए विपक्ष दल के कई नेताओं ने उनके रिश्ते पर गलत आलोचना की थी. विरोधियों ने हमेशा ही कांशीराम और मायावती के बीच नाजायाज संबंध होने का आरोप लगाया, हालांकि इस बारे में दोनों ही नेताओं ने कभी कोई सफाई नहीं दी.
मायावती ने कभी शादी नहीं की लेकिन हर कोई इस बारे में जानना चाहता है. एक टीवी पर एंकर ने जब उनसे शादी ना करने का सवाल किया तब उन्होंने खुद इस सवाल का खुलकर जवाब दिया था. फेमस पत्रकार हुआ करते थे उन्होंने मायावती का इंटरव्यू लिया था. मायावती के इंटरव्यू में उन्होंने मायावती से कई तरह के सवाल किये थे जिसमें से एक था कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की. इस इंटरव्यू में मायावती ने खुलासा किया था कि वो जीवनभर कुंवारी क्यों रहीं. उन्होंने बताया था, ”मैं दलितों के उत्थान के लिए काम करना चाहती थी और अगर मैं शादी कर लेती तो घर-गृहस्थी में उलझ जाती” . इन बातों में इतनी उलझकर रह जाती तो जिन दलित लोगों ने मेरा साथ दिया था वे मुझपर वो भरोसा नहीं कर पाते जो अब करते हैं. दलितों की दशा को सुधारने का सपना कभी भी पूरा नहीं हो सकता था. इसके अलावा उन्होंने दूसरी बात बताई कि वो शादी को जरूरी नहीं मानती हैं, इस वजह से उन्होंने कभी शादी नहीं की.