अध्यात्म

ब्रह्मचारी बजरंबली को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में देवी देवताओं को सिंदूर अर्पित करने का विधान है, विशेष रूप से देवी लक्ष्मी, पार्वती, भगवान विष्णु और हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। वैसे देवी लक्ष्मी और पार्वती को तो विवाहिता स्त्रियों के जरिए सिंदूर चढ़ाने का विधान, मान्यता है कि मंत्रों के उच्चारण के साथ सिंदूर अर्पित करने से इसकी पवित्रता और भी बढ़ जाती है और इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है, पर वहीं प्रश्न ये भी हो सकता है कि बजरंगबली तो ब्रह्मचारी हैं, फिर उन्हें सिंदूर चढ़ाने का विधान क्यों बना, तो आपको बता दें कि हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परम्परा के पीछे एक पौराणिक कथा है और आज हम आपको उसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, साथ ही बजरंगबली को सिंदूर अर्पित करने की सही विधि भी बताएंगे। तो चलिए सबसे पहले उस कथा के विषय में जानते हैं जिसके कारण माना जाता है कि बजरंबली को सिंदूर विशेष प्रिय है ।

दरअसल पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब सीता माता अपने मांग में सिंदूर भर रही थीं, तभी बजरंगबली ने देवी सीता को सिंदूर लगाते देख उनसे पूछा कि वो सिंदूर क्यों लगाती हैं। हनुमान जी के इस प्रश्न पर सीता मैया ने उन्हें बताया कि उनके सिंदूर लगाने से प्रभु श्रीराम की उम्र बढ़ेगी और वे हमेशा प्रसन्नचित रहेंगे। ऐसे में जैसे ही देवी सीता की ये बात हनुमान जी ने सुनी उन्होने सामने रखा सिंदूर उठाकर उसे अपने पूरे शरीर में लगा लिया।

यहीं नहीं हनुमान जी पूरे शरीर में सिंदूर लगे भेष में ही प्रभु श्रीराम की सभा में भी पहुंचे गए और वहां जब भगवान राम ने उन्हें देखा तो वे हंसे । ऐसे में हनुमान जी को सीता माता द्वारा कहे गए वचनों कि ‘सिंदूर लगाने से श्रीराम की चिरंजीवी होंगे’ में उनका विश्वास और अधिक दृढ़ हो गया। ऐसे में मान्यता है कि उस दिन से ही हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए और उनके स्वामी-भक्ति के स्मरण में उनके शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।

इस बारे में हनुमान चालीसा में भी वर्णित है कि

 राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा ।।

बजरंगबली को ऐसे चढ़ाए सिंदूर

वहीं अगर आप हनुमान जी को प्रसनन् करने के लिए उनकी की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं, तो सबसे पहले उनकी प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराएं और फिर उन्हे सभी पूजा सामग्री अर्पण करें। इसके बाद मंत्र का उच्चारण के साथ चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या प्रतिमा पर देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें।

हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें..

सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।

भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।

मान्यता है कि इस तरह से विधिवत नारंगी सिंदूर बजरंबली को चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। विशेषकर मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने का परम्परा है।

 

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