अध्यात्म

आखिर कब से शुरू करना चाहिए गुरुवार का व्रत? जानिए बृहस्पतिवार व्रत विधि

हिंदू धर्म में लोग आस्था पर विश्वास रखते हैं, लोग अपने-अपने आराध्य देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और इनका उपवास भी रखते हैं, वैसे देखा जाए तो सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी देवी देवता को समर्पित है और हर दिन लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए देवी देवताओं का व्रत करते हैं ताकि इनकी सभी मुरादें पूरी हो सके, हफ्ते में आने वाले हर एक व्रत का अपना अलग ही महत्व माना गया है, अगर हम गुरुवार की बात करें तो गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी और बृहस्पति देव को समर्पित है इस दिन इन दोनों की पूजा होती है।

ऐसा बताया जाता है कि जो व्यक्ति गुरुवार का व्रत करता है उसके जीवन की बहुत सी परेशानियां दूर होती है, यदि किसी व्यक्ति के विवाह में किसी प्रकार की अड़चन उत्पन्न हो रही है तो गुरुवार के व्रत से वह भी दूर होती है और घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है, आज हम आपको गुरुवार का व्रत कब शुरू करना चाहिए और कैसे गुरुवार का व्रत रखना चाहिए, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं, अगर आप गुरुवार का व्रत विधि विधान पूर्वक करते हैं तो इससे भगवान आपसे प्रसन्न होंगे।

जानिए कब से शुरू करें गुरुवार का व्रत | when to start Thursday fast

अगर आप गुरुवार का व्रत करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि आप कब से गुरुवार का व्रत आरंभ कर सकते हैं, आप पौष माह को छोड़कर कभी भी इस व्रत की शुरुआत कीजिए, आपको बता दें कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पौष का महीना दिसंबर या जनवरी में आता है, आप गुरुवार का व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू करें।

जानिए कितने गुरुवार रखें व्रत | how many Thursday to fast

अगर आप गुरुवार का व्रत आरंभ कर चुके हैं तो आपको इस बात का ध्यान देना होगा कि कम से कम आप 16 गुरुवार तक का व्रत अवश्य कीजिए और 17वे दिन आप गुरुवार के व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।

जानिए गुरुवार व्रत विधि | Thursday Vrat Vidhi

  • अगर आप गुरुवार का व्रत कर रहे हैं तो आप भगवान विष्णु जी की एक फोटो या प्रतिमा लीजिए।
  • गुरुवार व्रत करने के लिए आपको आवश्यक सामग्री जैसे- चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, हवन के लिए उपला की आवश्यकता पड़ेगी।
  • आप व्रत के दिन सुबह के समय जल्दी उठ जाए और अपने घर के सभी कार्य करने के पश्चात स्नान करके आप घर के मंदिर को साफ-सुथरा करके भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या फोटो पर चावल और पीले फूल अर्पित कीजिए।
  • आप 16 गुरुवार के व्रत का संकल्प ले और भगवान विष्णु जी को आप पीले वस्त्र अर्पित कीजिए, आप चाहे तो गुरुवार व्रत की विधि केले के पेड़ के समक्ष भी कर सकते हैं, आप एक लोटे में जल ले और उसके अंदर थोड़ी सी हल्दी डाल दीजिए, इसके बाद आपको भगवान विष्णु जी या केले के पेड़ की जड़ पर इस जल को डालना होगा, उसके बाद आप लोटे में गुड़ और चने की दाल डालकर रख दें।
  • आप भगवान विष्णु जी को हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं परंतु आपको इस बात का ध्यान देना होगा कि आप पीले चावल का इस्तेमाल अवश्य कीजिए, इसके बाद आपको घी का दीपक जलाकर कथा पढ़नी होगी, कथा पढ़ने के बाद आप हवन कीजिए।
  • आप हवन करते समय हवन सामग्री की आहुति दीजिए, साथ ही गुड़ और चने भी हवन में डाल दीजिये, आप मंत्र “ॐ गुं गुरुवे नमः” का 5, 7 या 11 बार जाप कीजिए, जब आपका हवन पूरा हो जाए तब आप भगवान विष्णु जी और बृहस्पति देव की आरती करें, आखिर में आप अपने भूल की क्षमा प्रार्थना कीजिए।

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