अध्यात्म

अकबर के सपने में आए थे हनुमान जी, कहीं ऐसी बात सिर झुकाने पर मजबूर हो गया था मुगल सम्राट

हनुमान जी एक ऐसे भगवान हैं जिनकी पूजा पाठ हर इंसान बड़ी ही श्रद्धा भाव से करता है। देशभर में हनुमान जी के कई मंदिर विद्यमान है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लेटे हुए श्री बड़े हनुमान जी का मंदिर है। यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है। इस मंदिर को लेकर कई कहानी और किस्से प्रचलित हैं। इस मंदिर से प्राचीन काल के राजा अकबर का भी गहरा नाता रहा है। मंदिर से कुछ किलोमीटर दूरी अकबर का किला भी मौजूद है।

जब नदी में डूबी हनुमान जी की मूर्ति

राजा अकबर और भगवान हनुमान से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा काफी फेमस है। यह कहानी कई साल पुरानी है। मंदिर के एक पुजारी के अनुसार कानपुर का एक सेठ यह मूर्ति लेकर आया था। उसने बजरंगबली से मन्नत मांगी थी कि यदि उसके घर संतान होती है तो वह एक बड़ी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करेगा। जब उसके घर संतान हुई तो उसने हनुमान जी की एक बड़ी मूर्ति बनवाई।

सेठ हनुमान जी की मूर्ति को लेकर मिर्जापुर से प्रयागराज आया। वह मूर्ति को नाव के माध्यम से ला रहा था। हालांकि प्रयागराज के संगम के नजदीक उसकी नाव पानी में डूब गई। इसके बाद हनुमान जी उस सेठ के सपने में आए। उन्होंने कहा कि अब जो हुआ सो हुआ हम यही विश्राम करेंगे। हमें और आगे मत ले जाइए। हनुमान जी की बात मानकर सेठ ने मूर्ति को ही छोड़ दिया और अपने घर की तरफ चल दिया।

अकबर के सपने में आए बजरंगबली

यह घटना जब हुई इस दौरान राजा अकबर का शासन चल रहा था। उन दिनों इस इलाके में मेला भी लगता था। यहां बाघम्बरी गद्दी में बालगिरी महंत को नदी में स्थित ये मूर्ति दिखाई दी। इसके बाद से ही वहां हनुमान जी की रोज पूजा होने लगी। भक्त भी बड़ी संख्या में हनुमान जी के दर्शन करने आने लगे। इस बीच अकबर की नजर भी इस मूर्ति पर पड़ी।

अकबर इस मूर्ति को हटाना चाह रहा था। इसलिए उसने मूर्ति के आसपास खुदाई शुरू कर दी। हालांकि जैसे जैसे खुदाई होने लगी वैसे वैसे मूर्ति और भी अंदर जमीन में धंसने लगी। इस घटना के बाद खुद हनुमान जी राजा अकबर के सपने में आए। हनुमान जी ने अकबर को बताया कि तुम्हें मूर्ति के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम्हारा किला ढह सकता है।

बजरंगबली के आगे घुटने टेकने को मजबूर हुआ अकबर

हनुमान जी की यह बातें सुन अकबर की आंखें खुल गई। उसे एहसास हुआ कि वह मूर्ति हटाकर गलत कर रहा है। आखिर उसने हनुमान जी के सामने घुटने टेक दिए। उन्हें नमन किया और उनकी मूर्ति के साथ छेड़छाड़ करने से तौबा कर ली। इस तरह अकबर भी हनुमान जी का भक्त बन गया।

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