अध्यात्म

जानिए कब है विश्वकर्मा पूजा? इस विधि से करें पूजन काम में होने लगेगी बरकत

अगर कामकाज में बरकत लानी हो तो इसके लिए विश्वकर्मा पूजा की जाती है। हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ऋषि विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को मनाई जाएगी। यह त्यौहार सभी कंपनियों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो विश्वकर्मा जयंती के दिन फैक्ट्री, शस्त्र, बिजनेस आदि की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इससे बिजनेस और रोजगार में तेजी से तरक्की मिलती है। आपको बता दें कि विश्वकर्मा जी एक महान शिल्पकार थे। भगवान विष्णु जी का सुदर्शन चक्र और शिवजी का त्रिशूल भी विश्वकर्मा जी ने ही बनाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में सभी राजधानियों का निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था जिसमें स्वर्ग लोग, हस्तिनापुर, द्वारिका, रावण की लंका शामिल है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप विश्वकर्मा जयंती पर विधि विधान पूर्वक पूजा करते हैं तो इससे आपके कामकाज में लगातार बरकत होगी और आप हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल करेंगे।

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 16 सितंबर 2020 को प्रातः काल में 10:09 बजे से 11:37 बजे तक रहेगा।

विश्वकर्मा देवता की इस तरह करें पूजा

  • आप विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान कर लीजिए, इसके पश्चात आपको भगवान विश्वकर्मा जी का ध्यान करना होगा।
  • आप विश्कर्मा देवता की पूजा के लिए साबुत चावल, फल, रोली, सुपारी, दीपक, रक्षा सूत्र, दही, मिठाई, शस्त्र बही-खाते, आभूषण, कलश आदि रख लीजिए। आप अष्टदल से रंगोली बनाकर उसमें भगवान विश्वकर्मा जी की तस्वीर स्थापित कीजिए।
  • रंगोली में भगवान विश्वकर्मा जी की तस्वीर स्थापित करने के पश्चात आपको फूल अर्पित करते हुए यह शब्द बोलने होंगे- “हे विश्वकर्मा जी आएं और हमारी पूजा को स्वीकार करें।”
  • आप जिस बिजनेस-व्यापार से जुड़े हुए हैं आप उससे संबंधित चीजें जैसे शस्त्र, आभूषण, औजार आदि में रोली और अक्षत लगाकर फूल अर्पित कीजिए, इसके पश्चात आप सतनजा पर कलश रखें। आप तलाश में रोली, अक्षत लगाकर इन दोनों चीजों को हाथों में लेते हुए मंत्र “ऊं पृथिव्यै नम: ऊं अनंतम नम: ऊं कूमयि नम: ऊं श्री सृष्टतनया सर्वासिद्धया विश्वकर्माया नमो नम:” का जाप करें। इसके पश्चात आपको सभी चीजों पर रोली और अक्षत छिड़कना होगा और फूल अर्पित करें।
  • आप विश्वकर्मा पूजन के दौरान भगवान को भोग लगाने के पश्चात इनको जल पिलाएं इसके बाद आपको दीपक जलाकर इनकी आरती करनी होगी। पूजा समाप्त होने के बाद आप प्रसाद लोगों में बांट सकते हैं।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

विश्वकर्मा जी पहले वास्तुकार माने गए हैं जिसकी वजह से विश्वकर्मा पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि हर वर्ष घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा की जाए तो इससे यह सभी चीजें जल्दी खराब नहीं होती है और मशीनें ठीक प्रकार से अपना कार्य करती हैं। भारत के बहुत से हिस्से ऐसे हैं जहां पर विश्वकर्मा जयंती बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है।

उपरोक्त आपको विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और इसके महत्व के बारे में जानकारी दी गई है। हम उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। आप इसको अन्य लोगों में शेयर करना ना भूलें।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button