वसंत पंचमी के दिन इस तरह से करें मां सरस्वती की पूजी, पढ़ें पूजा विधि और कथा
वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और इस साल वसंत पंचमी का पर्व 29 जनवरी के दिन आ रहा है। मान्यता है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था और इस दिन को सरस्वती मां के जन्मोत्सव के तौर पर माना जाता है। मां सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है और इनकी पूजा करने से विद्या की प्राप्ति होती है।
वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
वसंत पंचमी की पूजा का मुहूर्त 29 जनवरी की सुबह 10:45 से शुरू हो जाएगा और गुरूवार दोपहर 1.20 तक रहेगी। इसी शुभ मुहूर्त के दौरान आप मां की पूजा करें।
कैसे करें मां सरस्वती का पूजा : –
- वसंत पंचमी के दिन सबसे पहले घर की अच्छे से सफाई करें। नहाने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें।
- मंदिर में मां सरस्वती की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर पूजा करने का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें और मां को पीले रंग की चीज का भोग लगाएं।
- आप जिस कला के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उस क्षेत्र से जुड़ी वस्तु को मां के चरणों में रखें और मां से कामना करें की आपकी कला और बेहतर हो सके।
- मां सरस्वती के नाम का जाप करें और ‘ॐ श्री सरस्वतयै नम: मंत्र को 108 बार पढ़ें। मंत्र पढ़ने के बाद मां की वंदना करें।
मां सरस्वती की आरती
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..> चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
इस तरह से रखें व्रत
कई लोगों द्वारा वसंत पंचमी के दिन व्रत भी रखा जाता है। मान्यता है कि जब ये संसार बना था तो समय मनुष्य के अंदर बुद्धि, कला और ज्ञान की कमी थी। इस कमी को पूरा करने के लिए मां सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष के दिन प्रकट हुई थी और मां सरस्वती के आने से मनुष्य को बुद्धि, कला और ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसलिए जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें मां बुद्धि, कला और ज्ञान का आशीर्वाद देती है और अपने कार्य क्षेत्र में वो प्रगति हासिल करते हैं। वसंत पंचमी के व्रत के दौरान केवल फल और दूध का ही सेवन किया जाता है और अगले दिन मां की पूजा कर ये व्रत तोड़ा जाता है।