जानिए ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में जिसका स्तम्भ लटका हुआ है हवा में
भारत एक धार्मिक देश है। इस वजह से यहाँ मंदिरों की संख्या बहुत ज़्यादा है। यहाँ कई मंदिर तो ऐसे हैं, जो सदियों पुराने हैं और जिनके इतिहास के बारे में कोई नहीं जानता है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवता हैं। लगभग सभी देवताओं के मंदिर देश के किसी ना किसी कोने में स्थित हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहेगा। अगर आपको भी यक़ीन नहीं हो रहा है तो इस मंदिर के बारे में जानकर आप ख़ुद ही समझ जाएँगे।
स्तम्भ के नीचे से डालकर निकालते हैं चीज़ें:
आज हम आपको 16वीं सदी में बने लोपाक्षी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह मंदिर पूरे विश्व में अपनी एक ख़ासियत की वजह से चर्चित है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इस मंदिर में कई स्तम्भ हैं। लेकिन इस मंदिर का एक ऐसा भी स्तम्भ है जो ज़मीन पर टिका नहीं है बल्कि हवा में लटका हुआ है। कई लोगों को इस बात पर यक़ीन नहीं होता है। लेकिन जब वो मंदिर में जाकर ख़ुद ही स्तम्भ के नीचे कपड़ा या कोई अन्य वस्तु डालकर निकालते हैं तो उन्हें यक़ीन हो जाता है। इसी वजह से अक्सर यहाँ जाने वाले लोग स्तंभ के नीचे से कोई चीज़ डालकर निकालते हुए देखे जाते हैं।
स्थानीय लोगों का मानना है कि स्तम्भ के नीचे से कोई चीज़ निकालना बहुत ही शुभ होता है। जानकारी के अनुसार ये मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र का है। हालाँकि तीनों के मंदिर अलग-अलग हैं। मंदिर के परिसर में नांगलिक की एक बहुत ही प्रसिद्ध मूर्ति भी स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि अपने वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता इस मंदिर में आए थे। जब रावण सीता का अपहरण करके लंका ले जा रहा था तो जटायु ने रावण से युद्ध किया था।
एक इंजीनियर ने की थी मंदिर को तोड़ने की कोशिश:
युद्ध के दौरान जटायु घायल हो गए थे और घायल अवस्था में इसी जगह पर गिरे थे। जब श्रीराम सीता को खोजते हुए यहाँ पहुँचे तो उन्होंने जटायु को देखते ही लोपाक्षी कहते हुए गले लगा लिया था। इसी वजह से तब से इस स्थान को लोपाक्षी के नाम से जाना जाता है। लोपाक्षी मूलरूप से तेलुगू शब्द है, जिसका मतलब होता है उठो पक्षी। इस मंदिर के रहस्य के बारे में पता लगाने के लिए अंग्रेज़ इसे कहीं और ले जाना चाहते थे। इसी वजह से एक अंग्रेज़ी इंजीनियर ने इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश भी की थी।
मंदिर को देखने पहुँचते हैं देश-विदेश से लोग:
इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाइयों ने मिलकर बनाया था। जबकि इस मंदिर के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि इसका निर्माण ऋषि अगस्त ने करवाया था। हालाँकि इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया था, उससे भी ज़्यादा आश्चर्य की बात ये है कि इस मंदिर का एक स्तम्भ हवा में कैसे लटका हुआ है। लोगों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इसको देखने के लिए देश-विदेश से लोग लोपाक्षी मंदिर पहुँचते हैं।