दुख के समय श्रीकृष्ण जी की ये बातें आपके आएंगी काम, परिस्थितियों से लड़ने की मिलेगी शक्ति
भागवत गीता में बहुत से उपदेश भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा दिए गए ,हैं जिनको अगर व्यक्ति अपने जीवन में उतार लेता है तो उसके जीवन की बहुत सी समस्याएं कम हो सकती हैं, महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण जी ने अर्जुन को उपदेश दिए थे, जिससे उनको युद्ध में विजय हासिल हुई थी, ऐसा बताया जाता है कि अगर व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है तो भागवत गीता अवश्य पढ़नी चाहिए, भागवत गीता में ऐसे बहुत से उपदेश हैं जो आपके जीवन में नया बदलाव ला सकते हैं, यह महत्वपूर्ण बातें आपको अपने जीवन में कामयाबी की तरफ ले जाने में सहायक मंद साबित हो सकती हैं।
जैसा कि हम लोग जानते हैं जब-जब धर्म की हानि हुई है, जब अधर्म का बोझ बढ़ा है तब भगवान ने हर युग में किसी न किसी अवतार में रूप धारण किया है और अधर्म का नाश करके धर्म की रक्षा की है, आज हम आपको भागवत गीता के अनुसार ऐसी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने वाले हैं, जो श्री कृष्ण जी के द्वारा बताई गई है, अगर आप इन पर अमल करते हैं तो दुख के समय में आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
दुख के समय में भगवान कृष्ण जी की यह बातें आएंगी आपके काम
1. भागवत गीता के एक श्लोक में भगवान कृष्ण जी ने मानव के शरीर को एक कपड़े का टुकड़ा बताया है, भगवान कृष्ण जी ने यह बताया था कि मानव का शरीर एक ऐसा कपड़ा है जो आत्मा हर जन्म में बदलती रहती है, इसका अर्थ यह है कि मानव के शरीर की आत्मा अस्थाई वस्त्र है, मानव की पहचान उसके शरीर से नहीं उसके मन और उसकी आत्मा से करनी चाहिए।
2. भगवान कृष्ण जी ने बताया था कि इंसान का क्रोध उसके लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित होता है क्योंकि यदि जब मनुष्य को क्रोध आता है तो ऐसे में मनुष्य के अंदर एक भ्रम उत्पन्न होता है, जिसकी वजह से मनुष्य को अच्छे और बुरे की पहचान बिल्कुल भी नहीं रहती है, इसी कारण मनुष्य को क्रोध का मार्ग छोड़कर शांति का मार्ग अपनाना चाहिए।
3. भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता के उपदेश में यह बताया था कि कोई भी चीज जरूरत से ज्यादा हो तो वह बहुत ही खतरनाक साबित होती है, चाहे रिश्तो में मिठास हो या फिर रिश्तो में कड़वाहट, सब का संतुलन होना बहुत ही जरूरी है, अगर जरूरत से ज्यादा प्रेम होगा तो इसकी वजह से व्यक्ति हमेशा चिंतित रहेगा, अगर जरूरत से ज्यादा कड़वाहट रहेगी तो भी व्यक्ति दुखी रहेगा, इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में इन सब चीजों का संतुलन बनाकर चलना चाहिए।
4. व्यक्ति को अगर अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है तो अपने स्वार्थ का त्याग करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि स्वार्थ की वजह से व्यक्ति अपनों से दूर हो जाता है, अगर आप अपने जीवन में खुशियां प्राप्त करना चाहते हैं तो आप अपने सभी कार्य निस्वार्थ भाव से कीजिए।
5. ऐसा माना जाता है कि जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है, भगवान मनुष्य के साथ हमेशा रहता है, मनुष्य चाहे अच्छे कार्य करें या बुरे कार्य करें, हर समय भगवान उसके साथ रहता है, मनुष्य को सत्य का मार्ग अपनाना चाहिए, तब जीवन में एक ऐसा समय आता है जब उसको ना भविष्य की चिंता रहती है ना ही अतीत की चिंता होती है।
6. मनुष्य को कभी भी शक नहीं करना चाहिए, क्योंकि शक मजबूत से मजबूत रिश्ते को भी समाप्त कर देता है, जिसकी वजह से मनुष्य को दुखी होना पड़ता है।