मां कालिका के इन प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिरों में जाने मात्र से ही खुल जाती है किस्मत
मां कालिका को हिंदू धर्म में सबसे जागृत देवी माना जाता है बंगाल और असम में खासतौर से मां कालिका की पूजा की जाती है काली शब्द का मतलब काल और काले रंग से होता है काल का मतलब समय होता है मां कालिका को देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति मां कालिका के दरबार में एक बार चला जाता है तो उसका नाम पता दर्ज हो जाता है मां कालिका के दरबार में यदि दान मिलता है तो इसका दंड भी मिलता है अलग अलग पुराणों में माता की अलग-अलग महिमा के बारे में उल्लेख किया गया है आज हम आपको इस लेख के माध्यम से मां कालिका के ऐसे कुछ प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिरों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर के अंदर जाने मात्र से ही व्यक्ति का बुरा भाग्य दूर हो जाता है मां कालिका के यह मंदिर बहुत ही चमत्कारिक है और इन मंदिरों कि अपनी अपनी खासियत भी है।
शारदा माई
माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है ऐसा माना जाता है कि शाम की आरती होने के पश्चात जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी नीचे आ जाते हैं तब यहां मंदिर के अंदर घंटी और पूजा करने की आवाज सुनाई देती है इस विषय में ऐसा कहा जाता है कि मां के भक्त आल्हा अभी भी पूजा करने आते हैं सुबह की आरती यह ही करते हैं यह माता का सबसे मशहूर मंदिर है यह मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर तहसील के पास चित्रकूट पर्वत पर स्थित है इस मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ भी कहा जाता है ऐसा बताया जाता है कि यहां पर माता सती का हार गिरा था इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है माता के दर्शन करने के लिए आपको 1063 सीढ़ियां चढ़ने होंगी।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर- कोलकाता
कोलकाता का काली मंदिर दुनियाभर में काफी मशहूर है कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास स्थित इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी कहा जाता है इस पूरे क्षेत्र को कालीघाट कहते हैं ऐसा बताया जाता है कि इस स्थान पर सती के शरीर के दाहिने पैर की चार अंगुलिया गिरी थी इसलिए यह सती के 52 शक्तिपीठों में शामिल है 1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने मंदिर का निर्माण करवाया था यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
भीमा काली मंदिर- शिमला
भीमा काली मंदिर शिमला के लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर सराहन में व्यास नदी के तट पर स्थित है ऐसा कहा जाता है कि यहां पर देवी सती के कान गिरे थे इसलिए यह शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है इस स्थान पर देवी ने भीम रूप धारण करके असुरों का वध किया था इसलिए देवी को भीमा भी कहा जाता है।
पावागढ़ शक्तिपीठ
पावागढ़ मंदिर गुजरात की ऊंची पहाड़ियों पर बसा हुआ है यहां पर काली मां को महाकाली के नाम से जाना जाता है काली माता का यह मशहूर मंदिर माता के शक्तिपीठों में से एक माना गया है सती माता के जहां पर अंग गिरे थे उन पूजा स्थलों को शक्तिपीठ कहा जाता है पावागढ़ में माता के वक्षस्थल गिरे थे इस स्थान पर माता का जाग्रत दरबार लगता है और उनकी कई सेविकाएं उनके लिए काम करती हैं इसी स्थान पर लोगों को दंड और दान प्राप्त होता है।