देवी माता का अत्यंत चमत्कारिक है ये शक्तिपीठ, बिना सिर वाली देवी के होते हैं दर्शन
हमारे देश भर में ऐसे बहुत से मंदिर मौजूद हैं जो अपनी अपनी खासियत और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है यह मंदिर देवी मां के शक्तिपीठों में दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ है इस मंदिर को छिन्नमस्तिका मंदिर से जाना जाता है यह शक्तिपीठ दुनिया भर में काफी मशहूर है यह मंदिर भक्तों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है छिन्नमस्तिका रजरप्पा के भैरवी भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित है इस मंदिर के अंदर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं छिन्नमस्तिका दस महाविद्याओ में छठा रूप माना गया है।
इस मंदिर के अंदर दामोदर भैरवी संगम के किनारे त्रिकोण मंडल के योनि यंत्र पर स्थापित है यह मंदिर लाल नीले और सफेद रंगों के बेहतर समन्वय की वजह से बाहर से और भी अधिक खूबसूरत लगता है इस मंदिर को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं इस मंदिर में देवी माता का जो रूप स्थापित है वह देखने में काफी डरावना लगता है इस मंदिर के उतरी दीवार के साथ रखें शीलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए छिन्नमस्तिका के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर सकते हैं इस मंदिर के अंदर माता के कटे हुए सर की प्रतिमा है उनका कटा हुआ सिर उन्हीं के हाथों में रखा हुआ है और उनकी गर्दन से रक्त की धारा प्रवाहित होती हुई नजर आ रही है जो दोनों और खड़ी दोनों साहिकाओ के मुंह में जाता है शीला खंड में देवी माता की के तीन नेत्र हैं और उनके बाल खुले हुए हैं और इनकी जीभ बाहर निकली हुई है।
अगर हम पुराणों के अनुसार देखे तो रजरप्पा मंदिर का जिक्र शक्तिपीठ के रूप में मिलता है इस मंदिर के अंदर 4 दरवाजे हैं और इस मंदिर का सबसे मुख्य दरवाजा पूरब की ओर है जो भक्त इस मंदिर में अपनी मन्नत मांगने के लिए आता है वह भक्त रक्षा सूत्र में पत्थर बांधकर पेड़ और त्रिशूल में लटका देता है जब उस वक्त की मन्नत पूरी हो जाती है तो उन पत्थरों को दामोदर नदी में प्रवाहित करने की परंपरा है इस मंदिर में लोग मुंडन कुंड में स्नान भी करते हैं ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में अगर व्यक्ति स्नान करे तो उसको अपनी सभी बीमारियों से छुटकारा मिलता है इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि दामोदर और भैरवी नदी पर अलग-अलग बने दो गर्म जलकुंड है अगर कोई व्यक्ति इस कुंड में स्नान करता है तो उसकी त्वचा से संबंधित सभी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
वैसे तो इस मंदिर के अंदर वर्षभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है परंतु नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है इस मंदिर के अंदर साधु संत और श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं यह मंदिर रजरप्पा जंगलों से घिरा हुआ है शाम के समय इस पूरे इलाके में बिल्कुल सन्नाटा छा जाता है यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि छिन्नमस्तिका यहां पर रात्रि में विचरण करती है इसी वजह से साधक तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्ति में लगे रहते हैं दुर्गा पूजा के समय इस स्थान पर बहुत से प्रदेशों से साधक आते हैं और छिन्नमस्तिका की विशेष पूजा अर्चना करते हैं।