इस मंदिर में मुरादें पूरी करते हैं भगवान गणेश, रोजाना सैकड़ों की संख्या में आते हैं श्रद्धालु
हमारे देश भर में ऐसे बहुत से चमत्कारिक मंदिर हैं जो अपने चमत्कारों को लेकर दुनिया भर में प्रसिद्ध है, अगर हम भगवान गणेश जी के मंदिरों की बात करें तो देश भर में श्रद्धालु गणेश मंदिर में जाकर अपने जीवन के कष्ट दूर करने की भगवान गणेश जी से प्रार्थना करते हैं, वैसे देश में अनेकों गणेश मंदिर है, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है, जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भगवान गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय और इनकी सबसे पहले पूजा की जाती है, आज हम आपको देश के एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो आस्था और चमत्कार को अपने में समेटे हुए हैं, ऐसा बताया जाता है कि यह गणेश मंदिर कल्कि अवतार का प्रतिरूप और इस मंदिर में भगवान गणेश जी सबकी पुकार सुनते हैं।
हम आपको जिस गणेश मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर जबलपुर रतन नगर का सुप्तेश्वर गणेश मंदिर है और यह भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, यह मंदिर अन्य मंदिरों से अपने आप में अनूठा माना जाता है, क्योंकि यहां पर जो विशाल मंदिर स्थित है वह पहाड़ियों पर बना हुआ है और दूसरी विशेषता यह है कि गणेश जी की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ता रहता है, इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से शीला स्वरूप में भगवान गणेश जी प्रकट हुए थे, जो इस मंदिर में भक्तों उपासना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, इस मंदिर में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिस भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है वह इस मंदिर में आकर भगवान को सिंदूर अर्पित करता है।
इस मंदिर में लगभग 50 फीट की ऊंचाई पर शीला स्वरूप गणेश जी विराजमान है और यह भगवान कल्कि स्वरूप माने जाते हैं, जैसा कि आप लोग जानते हैं गणेश जी की सवारी चूहा है परंतु यहां पर यह घोड़े पर दिखाई देते हैं, इनकी विशालकाय सूंड धरती से बाहर है और शेष धड़ प्रतीकात्मक रूप से बाहर है, बाकी के शरीर का हिस्सा पाताल यानी कि कई फीट नीचे तक बताया जाता है, यहां पर भगवान को सिंदूर अर्पित करने की रस्म है, पूरा शीला ही सिंदूर के रंग में रंगा हुआ है, यहां पर भगवान को झंडा और वस्त्र अर्पित किया जाता है, इसके साथ ही अनुष्ठान भी होता है, भगवान गणेश जी का यह मंदिर डेढ़ एकड़ में बना हुआ है।
इस मंदिर में के समिति सचिव का ऐसा बताना है कि सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में कोई गुबंद या दीवार नहीं बनी हुई है, यहां पर प्राकृतिक रूप से भगवान गणेश जी उत्पन्न हुए थे जो भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए आता है उनको प्राकृतिक पहाड़ी और हरियाली का अनुभव होता है, भगवान गणेश जी यहां पर जिस स्वरुप में प्रकट हुए थे उनके उसी स्वरूप की यहां पर पूजा होती है, ऐसा माना जाता है कि जो भक्त 40 दिन नियमित रूप से भगवान गणेश जी के दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, इच्छाएं पूरी होने के पश्चात लोग दर्शन अनुष्ठान करते हैं।