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कर्नाटक के Hijab Ban पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, पर अबकि मामला सुलझने की बजाय और उलझ गया

कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन (hijab ban controversy) का मामला सुलझने की बजाय उलझ गया है। गुरुवार को मामले पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच का फैसला आना था। जिसको लेकर पूरे देश में उत्सुकता था। लेकिन जस्टिस  हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने मामले को लेकर नया मोड़ दे दिया। गुरुवार को साढ़े 10 बजे जब दोनों जजों ने हिजाब मामले को लेकर फैसला सुनाया। तो देश दंग रह गया, क्योंकि दोनों जजों के फैसले में अंतर था। दोनों जजों के फैसले अलग थे.. एक ने हिजाब को बैन करने के फैसले को सही बताया। वहीं दूसरे ने बैन को गलत बताया।

हिजाब मामले पर दोनों जजों की बट गई राय

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच के इस बंटे हुए फैसले के चलते मामला अभी लंबी खिंचने की संभावना है। क्योंकि दो फैसलों की वजह से अंतिम फैसला अभी नहीं आ सका। दोनों जजों की राय अलग-अलग होने के कारण अब इस मामले को बड़ी बेंच में सुना जायेगा। जिसमें 3 सीनियर जज होंगे। ये तो हुआ मामले से जुड़ा ताजा अपडेट… अब आपको बताते हैं कि हिजाब बैन मामले को लेकर दोनों जजों की राय आखिर क्यों बंटी और दोनों जजों ने अपने फैसले में क्या लिखा…

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को ठहराया जायज

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन (hijab ban controversy) के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। उन्होंने हिजाब बैन के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा साथ ही हिजाब पर पूर्ण प्रतिबंध को सही माना। इसके उलट जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया।

जस्टिस धूलिया ने अपना पक्ष रख जताया ऐतराज

जस्टिस धूलिया ने कहा कि फैसला लेते समय उन्होंने खासकर ग्रामीण इलाकों में रह रही बालिकाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। ताकि उनकी शिक्षा पर कोई बाधा ना आए। उन्होंने कहा, ”मेरे मन में ग्रामीण बालिकाओं की शिक्षा को लेकर बड़ा सवाल था। क्या हम उसके जीवन को बेहतर बना रहे हैं?”  जस्टिस सुधाशुं धूलिया ने मुताबिक कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला गलत है। हिजाब पर बैन रखने के आदेश को रद्द किया जाए। हिजाब या कोई भी पर्दा और पोशाक पसंद की बात है। इससे कुछ ज्यादा नहीं और कुछ कम भी नहीं।

उन्होंने कहा, मेरे फैसले में मुख्य जोर इस बात पर है, कि विवाद के लिए आवश्यक धार्मिक मान्यता की पूरी अवधारणा जरूरी नहीं थी। हिजाब विवाद में कर्नाटक हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया। जस्टिस धूलिया ने कहा, कई इलाकों में एक बच्ची स्कूल जाने से पहले घर का काम करती है। उन्होंने कहा, क्या हम ऐसा करके उसके जीवन को बेहतर बना रहे हैं ? जस्टिस धूलिया ने स्पष्ट कहा कि, मैंने सम्मानपूर्वक अपना मत दिया है। यह मामला केवल अनुच्छेद 19 और 25 से संबंधित है।

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने जजों के फैसले पर दिया बड़ा बयान

वहीं कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के फैसले को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हिजाब बैन (hijab ban controversy) मामले में दोनों जजों की राय अलग-अलग है ऐसे में अभी हाई कोर्ट का फैसला ही लागू रहेगा। यानि अब हाई कोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा, जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है।

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