श्रीमदभगवत भगवत गीता हिन्दू धर्म के पुराणों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है ये आज से करीब 5000 साल पहले हे लिखी जा चुकी थी और इसमें कलयुग में होने वाली चीज़ो के बारे में भी लिखा हुआ है जो जानकर आपको आश्चर्य होगा की जो लिखा हुआ है
उनमे से बहुत सारी बाते सत्य हो रही है कलयुग में भगवन विष्णु जी कल्कि अवतार के में जन्म लेंगे और भी बहुत सी बाते है जो श्रीमद भगवतगीता में लिखी हुई है जानिए क्या है वो सब बाते.
आज हो रही है वो बाते सच जो गीता में लिखी जा चुकी है
श्लोक 1:-
ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।
कालेन बलिना राजन् नङ्क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥
इस श्लोक का अर्थ है कि कलयुग में सत्यवादिता, साफ सफाई, दया(रहम), शरीर की शक्ति, जीवन की आयु, स्मृति ये सभी चीज़े दिन पर दिन काम होती जाएंगी।
श्लोक 2:-
वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।
धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥
इसका अर्थ है कलयुग में जिस इंसान के पास जितना अधिक धन होगा वो उतना ही गुणवान मन जाएगा और इसके साथ ही कानून, न्याय केवल एक शक्ति के रूप में कार्य करेंगे।
श्लोक 3:-
दाम्पत्येऽभिरुचिर्हेतुः मायैव व्यावहारिके ।
स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥
कलयुग में स्त्री और पुरुष एक दोनों के साथ केवल रूचि के आधार पर साथ रहेंगे और विवाह नहीं करेंगे। छल पर व्यापार की सफलता निर्भर करेगी सिर्फ एक धागे के बल पर कोई ब्राह्मण खुद के ब्राह्मण होने का दावा करेंगे।
श्लोक 4:-
लिङ्गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।
अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥
जो इंसान किसी को घूस देने अथवा ज्यादा धन खर्च करने में असमर्थ होगा उसको सही न्याय नहीं मिल पाएगा। जो इंसान बहुत ही चतुर चालक, स्वार्थी होगा उसे लोग विद्वान मानेंगे।
श्लोक 5:-
क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम् ॥
लोग भूख-प्यास और कई दूसरी तरह की चिंताओं से दुखी रहेंगे कई साड़ी बीमारियों से पीड़ित रहेंगे और लोगो की जीवन आयु मात्र 20-30 वर्ष की होगी।
श्लोक 6:-
दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।
उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि ॥
कलयुग में लोग दूर बसे नदी-तालाबों को तीर्थ मानेगे और साथ में ही रह रहे माथा-पिता की निंदा करेंगे। साथ ही बड़े-बड़े बाल रखना सुंदरता मानी जाएगी इंसान का केवल एक लक्ष्य रहेगा अपना पेट भरना।
श्लोक 7:-
अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः।
शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥
कभी बारिश नहीं होगी जिसकी वजह से सूखा पड़ जाएगा, कभी अत्यधिक ठण्ड पड़ेगी तो कभी भीषण गर्मी। कभी तेज़ आंधी आएगी तो कभी बहुत बाढ़। इन सब परिस्थितियों से लोग तंग हो जाएंगे और धीरे धीरे नष्ट होते जाएंगे।
श्लोक 8:-
अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥
इस युग में जी इंसान के पास धन नहीं होगा वो लोगो की नज़रो में अधर्मी, बेकार और अपवित्र मन जाएगा। शादी सिर्फ दो लोगो के बिच एक समझौता होता तथा लोग महज नहा कर ही अपने आप को अंतरात्मा से शुद्ध हुआ समझेंगे।
श्लोक 9:-
दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥
कलयुग में लोग धर्म कर्म के काम सिर्फ अपने आप को अच्छा दिखने के लिए करंगे। इस पृथवी पर बुरे लोगो को संख्या बढ़ जाएगी और सत्ता को प्राप्त करने के लिए एक दूसरे को मारेंगे।
श्लोक 10:-
आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।
शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥
अकाल तथा अधिक करो के कारण लोग अपने घरो को छोड़ कर पहाड़ो जंगलो में रहने को मज़बूर हो जाएंगे। इसी के साथ पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, बीज आदि खाने को भी।