सिघांड़ा एक मौसमी फल है जसका आकर तिकोना होता है यह फल तालाब में बेल पर उगता है जो पानी में बड़ी होती है. सिघांड़े में बहुत सारे पोषण तत्त्व होते है सिघांड़े को हम कई प्रकार से खा सकते है जैसे सिघांड़े का आटा पीसकर उसकी लपसी बना सकते है सिघांड़े का आचार डाल सकते है सिघांड़े को सीधा खा सकते है. इसमें बहुत सारे पोशाण तत्त्व होते है जो व्यक्ति के शारीर में बहुत लाभदायक होते है. सिघांड़े में तीन प्रकार की विटामिन पायी जाती है विटामिन A, विटामिन b और विटामिन c भरपूर मातत्रा में पायी जाती है. यह खनिज लवझा और कार्बोहाइड्रेट युक्त भी होता है. सिघांड़े में बहुत सारे आयुर्वेदिक गुण भी होते है जो आपको जरुर जानने चाहिए.
सिघांड़े में और भी बहुत से महत्वपूर्ण तत्त्व पाए जाते है जो कुछ इस प्रकार है – एमिलोज, प्रोटीन, फैट, फास्फोराइलेज, थायमाइन, विटामिन्स-ए, सी और मैग्नीज, टैनिन, सिट्रिड एसिड, ये सभी भी पाए जाते है.
जानिए सिंघाडे के आयुर्वेदिक गुण के बारे में
पीलिया जैसे रोगों में सिघांड़े को कच्चा या उसका जूस बनाकर पीने से मरीज के शारीर में होने वाले सभी जहरीले तत्त्व बहार निकल जाते है. और इससे पीलिया के रोगीओ को बहुत फायदा मिलता है.
सिघाड़ा खाने से आँखों की रोशनी भी बदती है जो व्यक्ति सिघाड़ा खाते है उनकी आँखों की रोशनी अच्छी बनी रहती है क्युकी सिघांड़े में विटामिन A पाया जाता है.
जो व्यक्ति खरोंध जैसे रोग से परेशां है उन्हें खरोंध में ज्यादा खून निकलता है तो वह सिघांड़ा ज्यादा से जायदा खाए सिघाडे में रक्त स्तंभक का गुण पाया जाता है जो ऐसे रोगों से हमे बचाता है,
शारीर की कमजोरी को दूर करता है अगर कोई व्यक्ति दुबला है ओए उनके शारीर में कमजोरी रहती है तो ऐसे में उन्हें रोज सिघाड़े खाने चाहिए जिससे उनकी कमजोरी दूर हो जाएगी और शारीर में नई फुर्ती आएगी.