CID के ACP प्रद्युम्न ने कबड्डी प्लेयर से की शादी, हो गई मौत, अब 73 की उम्र में अकेले है शिवाजी
‘नायक’, ‘वास्तव’, ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’, ‘चाइना गेट’, ‘यशवंत’, ‘जिस देश में गंगा रहता है’, ‘हू तू तू’ और ‘सूर्यवंशम’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता शिवाजी साटम 73 साल के होने जा रहे हैं. बॉलीवुड की कई फिल्मों में नजर आए शिवाजी साटम ने ख़ास और बड़ी पहचान CID धारावाहिक से बनाई थी.
CID धारावाहिक से शिवाजी को ख़ास पहचान मिली थी. 21 साल तक वे इस बेहद लोकप्रिय शो का हिस्सा रहे थे. इसमें वे एसीपी प्रद्युम्न की भूमिका में नजर आते थे. उनके द्वारा बोला जाने वाला डायलॉग ‘दया कुछ तो गड़बड़ है…! आज भी हर किसी की जुबान पर रहता है.
72 वर्षीय शिवाजी साटम का जन्म 21 अप्रैल 1950 को भारतीय सरजमीं पर हुआ था. हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों में अपने अभिनय का दम दिखाने वाले शिवाजी को अधिकतर लोग CID के एसीपी प्रद्युम्न के रूप में जानते हैं. हालांकि आज हम आपको अभिनेता की प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं.
शिवाजी साटम की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है. उनकी शादी अरुणा साटम से हुई थी जो कि अब इस दुनिया में नहीं है. अरुणा और शिवाजी ने प्रेम विवाह नहीं किया था बल्किदोनों की अरेंज मैरिज हुई थी. छोटे पर्दे पर एक सख्त एसीपी के रोल में नजर में शिवाजी असल जिंदगी में काफी नर्म दिल इंसान बताए जाते है.
एक बार शिवाजी ने बताया था कि, मेरे पिताजी एक जिमनास्ट थे, वो ही हेड ऑफ द फैमिली थे. वो रोज जाकर कुश्ती किया करते थे. मेरी बड़ी जो कजिन बहन थी, वो एक अवॉर्डेड एथलीट थीं.
मेरे पिताजी एक प्रोग्रेसिव सोच के व्यक्ति थे. वो मेरी बहन को खुद अखाड़े ले जाया करते थे. वो कभी पुरानी और दकियानूसी सोच नहीं रखते थे. एक कॉमन फ्रेंड के जरिए रिश्ता आया था. उसको मैं अच्छा लगा, वो मुझे अच्छी लगी तो रिश्ता जुड़ गया.
शिवाजी ने आगे पत्नी को लेकर बताया था कि, वो महाराष्ट्र के कबड्डी टीम की कैप्टन थी. उसे छत्रपति शिवाजी अवॉर्ड मिल चुका था. वो मैनेजर भी रही, कोच भी रही बाद में टीम की. वो अपनी लाइफ में सब कुछ करती रही थी. लंबा ना सही 24 साल का तो साथ रहा ही हमारा. अरुणा का कैंसर से निधन हो गया.
शिवाजी कहते है कि, बहुत मुश्किल वक्त होता है, लेकिन मुझे लगता है आपके अंदर अचानक ही हिम्मत आ जाती है, सब से जूझने की. पहले तो जॉइंट फैमिली हुआ करती थी, लेकिन उस वक्त मेरी बहन, भाई-भाभी, मेरी मां, हम सब अगल-बगल के फ्लैट्स में ही रहा करते थे. जरूरत होती थी तो आवाज लगा दिया करते थे.
वो वक्त कैसे गुजरा मैं भी नहीं जानता. बच्चे बड़े हो रहे थे. लेकिन उन्हें सिर्फ बड़ा नहीं करना था, उनकी परवरिश करनी थी, परिवार ने साथ दिया. मैं तो अपनी पत्नी, फिल्म और थियेटर में लगा होता था. जब मेरी पत्नी के साथ ये सब हादसा हुआ तब मैं गुलाम-ए-मुस्तफा की शूटिंग कर रहा था. इस फिल्म में नाना पाटेकर, अरुणा इरानी जी थे साथ में. ये लोग फैमिली नहीं थे, लेकिन उससे कम भी नहीं थे. उन तीन महीनों में इन लोगों ने मुझे बहुत संभाला. बता दें कि सात साल तक उनकी पत्नी का इलाज चला था लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.