भगवान शिव जी का चमत्कारिक मंदिर, जो दिन में 2 बार हो जाता है गायब
हमारा भारत देश धार्मिक देश होने के साथ-साथ चमत्कारिक देश भी माना जाता है भारत में ऐसे बहुत से तीर्थ स्थल मौजूद है जो अपने चमत्कारों की वजह से दुनिया भर में मशहूर है इन तीर्थ स्थलों के चमत्कारों को लेकर बहुत से अध्ययन किए गए हैं परंतु इनके बारे में अभी तक कोई जानकारी हासिल नहीं हो पाई है इन तीर्थ स्थलों के चमत्कार का रहस्य अभी तक रहस्य ही बना हुआ है इतिहास में भी इन तीर्थ स्थलों का उल्लेख मिलता है आप लोगों ने ऐसे बहुत से तीर्थ स्थलों के बारे में सुना होगा जहां पर लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है जिन मंदिरों से कभी भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है परंतु आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर के अंदर बहुत से रहस्य छुपे हुए हैं इस मंदिर के विषय में ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर एक बार दिखाई देने के बाद गायब हो जाता है इसके साथ ही इस मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हुई है।
हम आज आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह मंदिर गुजरात राज्य के बड़ोदरा शहर से 60 किलोमीटर दूरी पर कबी कंबोई गांव में स्थित है जिसको स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर के अंदर शिवलिंग विराजमान है जिसको देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग बड़ी संख्या में आते हैं यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पहले ढूंढा गया था यह मंदिर अरब सागर की खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित है और यह मंदिर दिन में दो बार आंखों के सामने से गायब हो जाता है क्योंकि यह मंदिर पानी में डूब जाता है अब आपके मन में यह विचार आ रहा होगा कि आखिर यह कैसे हो सकता है कि खुद ही मंदिर पानी में डूब जाए और खुद ही पानी से बाहर निकल आए तो चलिए जान लेते हैं इस मंदिर के रहस्य के बारे में।
इस मंदिर के गायब होने का रहस्य यह है कि यहां पर ज्वार आता है जिसकी वजह से यह मंदिर डूब जाता है और जब ज्वार गायब हो जाता है तब यह मंदिर दिखाई देने लगता है ऐसा दिन में दो बार होता है जब यहां पर लोग दर्शन के लिए जाते हैं तब यह मंदिर उनको नजर आता है इसके अतिरिक्त यहां पर पर्चे भी बांटे जाते हैं और समय भी बताया जाता है कि यह मंदिर डूबने वाला है और वहां पर जाने से मना भी किया जाता है परंतु ज्यादातर लोग मंदिर में उस समय जाने का प्रयत्न करते हैं जब यह मंदिर डूब रहा होता है परंतु आज तक कोई भी जाने में सफल नहीं हो पाया है।
पौराणिक कथा अनुसार ऐसा बताया जाता है कि वरदान प्राप्त करने के लिए ताड़कासुर ने कोहराम मचा दिया था जिसकी वजह से सभी देवता काफी परेशान हो गए थे परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव जी की शरण में गए और उनसे सहायता मांगने लगे जिसके पश्चात भगवान शिव जी ने कार्तिकेय को उत्पन्न किया था उसके बाद कार्तिकेय ने उस राक्षस का वध किया था ऐसा बताया जाता है कि भगवान विष्णु जी ने इस मंदिर की स्थापना की थी इस मंदिर के अंदर शिवजी की प्रतिमा विराजमान है जिसका आकार 4 फीट का है यह मंदिर एक बार दिखाई देने के पश्चात समुद्र के ज्वार भाटा में समाहित हो जाता है इस मंदिर में दर्शनों के बारे में साफ-साफ लिखा भी हुआ है इस मंदिर में अमावस्या और महाशिवरात्रि के दिन भारी भीड़ देखने को मिलती है देश-विदेश से लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।