अध्यात्म

मां सती के द्वारा की गई इस भूल के कारण, वो सदा के लिए शिव से हो गई थी अलग

शिव जी और माता सती के विवाह के कुछ समय बाद माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन करवाया और इस यज्ञ में शामिल होने के लिए कई सारे देवी-देवताओं को आमंत्रित भी किया। लेकिन राजा दक्ष द्वारा उनकी बेटी और शिव जी को यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण नहीं भेजा गया।

सती मां ने किया शिव जी की बात को अनदेखा

माता सती एक दिन शिव जी के साथ बैठी हुई थी उसी दौरान देवर्षि नारद माता सती से मिलने के लिए उनके पास आए और बातों-बातों में उन्होंने सती मांं को बताया कि उनके पिता द्वारा एक यज्ञ किया जा रहा है। देवर्षि नारद की बात सुनकर सती मां हैरान रहे गई और इस सोच में पड़ गई कि उनके पिता ने उन्हें इस यज्ञ में शामिल होने के लिए क्यों नहीं बुलाया। काफी देर तक इस बात पर विचार करने के बाद सती मां इस नतीजे पर पहुंची कि शायद उनके पिता उन्हें आमंत्रित करना भूल गए होंगे।

माता सती ने शिव जी को यज्ञ के बारे में बताते हुए कहा, मेरे पिता ने हरिद्वार में भव्य यज्ञ का आयोजन किया और इस यज्ञ में देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। मेरे पिता हमें यज्ञ में आमंत्रित करना भूल गए हैं। इसलिए हमें इस यज्ञ में जाना चाहिए। सती मां की बात सुनकर शिव जी ने उन्हें यज्ञ में ना जाने की सलाह दी। क्योंकि शिव जी जानते थे कि सती के पिता उन्हें पसंद नहीं किया करते हैं और इस वजह से उन्होंने सती को और ना ही उनको यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण भेजा है। लेकिन सती मां ने शिव जी की एक ना सुनीं और वो यज्ञ में  शामिल होने के लिए चले गई।

दक्ष ने किया शिव जी का अपमान

यज्ञ में पहुंचकर सती मां अपने पिता से मिली और अपने पिता से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा, आप ने इस यज्ञ में शामिल होने के लिए सबको न्योता भेजा। लेकिन आप मेरे को न्योता देना भूल गए। सीत की ये बात सुनकर दक्ष ने शिव जी का अपमान करना शुरू कर दिया और कहा कि वो शिव जी को इस यज्ञ में शामिल नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्हें न्योता नहीं भेजा। अपने पति का अपमान सुनकर सती मां को काफी गुस्सा आ गया और उन्होंने यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर अपने प्राणों की त्याग दिए।

सती मां के प्राणों त्याग ने की खबर जैसे शिव जी के पास पहुंची वो बहुत क्रोधित हो गए और शिवजी के कहने पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया।

इस प्रसंग से मिली सीख

शिव जी और माता सती से जुड़े इस प्रसंग से हमें दो चीजों की सीख मिलती है।

पहली सीख

हमें कभी भी बिना आमंत्रण मिले किसी के घर नहीं जाना चाहिए। अगर हम किसी के घर बिना आमंत्रण मिले जाते हैं तो इससे हमारे केवल अपमान ही होता है।

दूसरी सीख

हमे अपने जीवन साथी की बतातों पर विश्वास करना चाहिए और जो वो कहें उस चीज को मान लेने चाहिए। अगर सती मां शिव जी की बात को मान लेती तो उन्हें अपने प्राण नहीं त्याग ने पड़ते।

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