अध्यात्म

आज शीतला अष्टमी पर ऐसे करें शीतला माता की पूजा, जीवन के दुख हर लेंगी माता रानी

16 मार्च 2020 को शीतला अष्टमी है और शीतला अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:46 बजे से शाम 6:48 बजे तक रहेगा, होली के पश्चात आने वाली चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर शीतला अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है, बहुत से लोग ऐसे हैं जो इसको होली अष्टमी भी मानते हैं, यह देश के कई स्थानों पर त्यौहार मनाया जाता है, इस दिन माता शीतला की विशेष पूजा-अर्चना होती है, शीतला माता के मंदिरों में इस दिन भारी भीड़ देखने को मिलती है और विशेष मेले का आयोजन भी किया जाता है, इस त्यौहार को कई स्थानों पर बासौड़ा भी कहा जाता है।

आपको बता दें कि माता शीतला को इस दिन बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है और इस दिन ताजा खाना नहीं बनाया जाता है, एक दिन पहले ही खाना बनाकर रात के समय रख लिया जाता है और अगले दिन बासी खाने का भोग शीतला माता की पूजा में लगाया जाता है, माता शीतला को रोगो से भक्तों की सुरक्षा करने वाली माता माना गया है, आज हम आपको इस लेख के माध्यम से शीतला अष्टमी के दिन माता की कैसे पूजा करें और किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।

आइए जानते हैं शीतला माता की पूजा में ध्यान देने योग्य बातें

  • सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि शीतला माता की पूजा में आप बासी भोजन का भोग लगाएं, आप 1 दिन पहले मीठे चावल बना कर रख लीजिए और पूजा की सभी सामग्रियां तैयार कर लीजिए, जब आप शीतला माता की पूजा कर रहे हो तब मीठे चावलों के साथ हल्दी और चने की दाल प्रयोग में लाएं।

  • शीतला अष्टमी के दिन प्रातः काल में ठंडे पानी से नहाना चाहिए और साफ वस्त्रों का धारण करके जहां पर आपने होलिका जलाई है उस स्थान पर जाए, इसके पश्चात आप आटा गूंद कर दो आटे के दीपक बनाकर घी के दीपक तैयार कर लीजिए, आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपको यह दीपक नहीं जलाना है और होलिका जलाने वाले स्थान पर इसको रखकर मीठे चावल, चने की दाल और हल्दी अर्पित कीजिए उसके बाद फूल अर्पित करें।
  • आप अपने घर के किसी भी आसपास के शीतला माता मंदिर में जाकर माता रानी की पूजा करें और सबसे पहले हल्दी और रोली का तिलक माता को लगाएं, इसके बाद आप माता रानी को मेहंदी, काजल, वस्त्र अर्पित कीजिए, आप इस दिन शीतला माता की कथा भी पढ़ें या फिर सुन सकते हैं, इतना करने के बाद आप इनको मीठे चावलों का भोग लगाइए और आटे से बने हुए दीपक को जलाकर माता शीतला जी की आरती कीजिए, जब आपकी आरती पूरी हो जाए तब शीतला माता को जल चढ़ाएं और उसके बाद जल की कुछ बूंदें अपने ऊपर भी डाल दीजिए।

उपरोक्त शीतला माता की पूजन के दौरान किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है इसकी जानकारी दी गई है, माता रानी को बीमारियों का नाश करने वाली माना गया है, यह अपने भक्तों को रोगों से बचाती है, जो भक्त इनकी पूजा करता है उनको स्वास्थ्य लाभ मिलता है, इस दिन भक्त शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने के पश्चात खुद भी इसका ग्रहण करते हैं, इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है क्योंकि इस विषय में ऐसा बताया जाता है कि अगर व्यक्ति इस दिन घर में चूल्हा जलाता है या फिर भोजन बनाता है तो इसकी वजह से शीतला माता क्रोधित होती हैं।

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