शनिदेव ने इस पेड़ को दिया था वरदान, इसकी पूजा करने से शनिदेव कभी नहीं करेंगे परेशान
शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है, इनकी कृपा दृष्टि से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो ऐसा बताया जाता है कि अगर व्यक्ति पीपल के पेड़ की पूजा करता है और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करता है तो उसको शनिदेव कभी भी परेशान नहीं करते हैं, पीपल की पूजा से शनि पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ता है, आखिर पीपल की पूजा से शनिदेव क्यों प्रसन्न होते हैं इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा बताई जाती है दरअसल, एक कथा के अनुसार ऐसा जिक्र किया गया है कि पीपल के पेड़ ने भगवान शनि देव को निगल लिया था, जिसके बाद पीपल के पेड़ को शनिदेव ने वरदान दिया था कि जो कोई पीपल की पूजा करेगा उसको कभी भी शनिदेव परेशान नहीं करेंगे।
आइए जानते हैं पीपल के पेड़ को किस प्रकार मिला था शनिदेव का वरदान
शनि देव ने पीपल के पेड़ को वरदान क्यों दिया था? आखिर पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि देव क्यों प्रसन्न होते हैं? इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है, इस कथा के अनुसार एक बार अगस्त्य ऋषि दक्षिण दिशा में अपने सभी शिष्यों के साथ गोमती नदी के तट पर गए थे और उन्होंने सत्रयाग की दीक्षा लेकर 1 वर्ष तक यज्ञ किया था, इसके दौरान उस समय स्वर्ग पर राक्षसों का राज हुआ करता था, एक कैटभ नाम का राक्षस था, जिसने पीपल के पेड़ का रूप धारण करके यज्ञ में सभी ब्राह्मणों को परेशान करता था, इतना ही नहीं बल्कि वह इन ब्राह्मणों को मारकर खा भी जाता था, जब इस राक्षस ने पीपल के पेड़ का रूप धारण किया था तब जो भी ब्राह्मण इसके समीप इसकी टहनियां-पत्ते तोड़ने जाता था उसी दौरान यह राक्षस उस ब्राह्मण को अपना आहार बना लेता था।
जो जो ब्राह्मण इस पीपल रूपी राक्षस के पास जाता था वह इसका निवाला बन जाता था, जैसे ही ऋषि मुनि ने देखा कि उनके शिष्यों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है तो ऐसे में उन्होंने शनि महाराज से सहायता ली और उनके पास जाकर अपनी समस्या बताई, ऋषि मुनि की बात सुनकर शनि देव ब्राह्मण का रूप धारण करके पीपल के पेड़ के पास जाते हैं, लेकिन राक्षस शनिदेव को भी साधारण ब्राह्मण समझकर इनको भी अपना निवाला बना लेता है, जैसे ही राक्षस ने शनिदेव को अपना निवाला बनाया उसके पश्चात शनि देव उसका पेट फाड़ कर बाहर निकल आते हैं और उस राक्षस का अंत हो जाता है।
जब ब्राह्मणों को इस राक्षस से मुक्ति मिली तो वह काफी प्रसन्न हुए और शनिदेव का सभी ब्राह्मणों और ऋषि-मुनियों ने शुक्रिया अदा किया, इस पर शनिदेव भी बहुत प्रसन्न हुए थे और उन्होंने कहा था जो भी शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करता है या फिर सभी कार्य करेगा उसको यह कभी परेशान नहीं करेंगे, अगर शनिवार के दिन व्यक्ति पीपल के पास स्नान, ध्यान, हवन और पूजा करता है तो उसको शनि कष्ट नहीं झेलने पड़ते हैं, उस व्यक्ति के ऊपर हमेशा शनिदेव की कृपा दृष्टि बनी रहती है और शनिदेव का साथ मिलता है।