शनिदेव का प्राचीन मंदिर जहां दर्शन मात्र से कष्ट होते हैं दूर, परिक्रमा से इच्छाएं होती है पूरी
शनिदेव के प्रति लोगों के मन में डर साफ-साफ नजर आता है, हर कोई व्यक्ति शनि देव के बुरे प्रभाव से बचना चाहता है, ऐसा बताया जाता है कि अगर शनि देव की बुरी दृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़ जाए तो उस व्यक्ति के जीवन में बहुत सी कठिनाइयां उत्पन्न होने लगती है, अक्सर लोग शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि मंदिरों में जाते हैं और शनिदेव की पूजा अर्चना करते हैं, वैसे देखा जाए तो हमारे देश में शनि देव के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं और इन मंदिरों की अपनी कोई ना कोई विशेषता अवश्य है जिसकी वजह से यह दुनिया भर में मशहूर है, आज हम आपको शनि देव के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर के अंदर दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, ऐसा बताया जाता है कि यहां पर परिक्रमा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, इतना ही नहीं बल्कि ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जी ने कोयल बनकर इस स्थान पर शनिदेव को दर्शन दिए थे और शनि देव को यह वरदान दिया था कि जो व्यक्ति कोकिलावन का श्रद्धा और भक्ति के साथ परिक्रमा करता है तो उसके सभी कष्ट दूर होंगे।
हम आपको शनि देव के जिस प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह उत्तर प्रदेश के मथुरा के कोसीकला गांव के समीप स्थित है, शनिदेव का यह धाम बहुत ही सिद्ध माना गया है, शनिदेव का यह प्राचीन मंदिर कोकिलावन तीर्थ स्थल मथुरा शहर के नंद गांव में बना हुआ है, मान्यता अनुसार द्वापर युग में शनि महाराज ने अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण जी के बाल स्वरूप के दर्शन करने के लिए नंद गांव में आए हुए थे, तब शनि देव को नंद बाबा ने रोक दिया था क्योंकि उनकी बुरी दृष्टि से वह भयभीत थे, तब शनि देव को बहुत ही दुख हुआ, दुखी शनिदेव को सांत्वना देने के लिए भगवान कृष्ण जी ने संदेश दिया था कि वह नंद गांव के समीप वन में उनकी तपस्या करें, वह उनको दर्शन वहीं पर प्रकट हो कर देंगे, तब शनिदेव ने इस स्थान पर तपस्या की थी, उसके पश्चात भगवान श्री कृष्ण जी ने कोयल का रूप धारण किया था और शनि देव को दर्शन दिया था, तब भगवान श्री कृष्ण जी ने शनिदेव को यह आज्ञा दी थी कि वह कोकिलावन धाम में ही रहेंगे, यही वजह है कि इस जगह का नाम कोकिलावन पड़ा है।
जब भगवान कृष्ण जी ने शनिदेव को दर्शन दिए तब कृष्ण जी ने शनिदेव को यह आशीर्वाद भी दिया था कि वह उसी स्थान पर विराजमान हो जाए, जो व्यक्ति इस स्थान पर आकर उनके दर्शन करेगा उसके ऊपर शनि की बुरी दृष्टि नहीं पड़ेगी और उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी, शनि देव को भगवान कृष्ण जी ने भी उनके साथ रहने का वादा किया था, तभी से शनि देव महाराज के बाई तरफ भगवान श्री कृष्ण और राधा जी साथ में विराजमान है, इस स्थान पर सभी भक्त अपनी परेशानियां लेकर शनि देव के पास आते हैं और शनिदेव भी उनकी सभी दुख परेशानियां दूर करते हैं।
इस स्थान को लेकर ऐसा बताया जाता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति अपने मन में कोई इच्छा लेकर आता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, इस स्थान पर लोग काफी उम्मीद के साथ शनिवार के दिन दूर दूर से भारी संख्या में आते हैं, और शनिदेव से अपनी मन की मुराद पूरी करने की प्रार्थना करते हैं, शनिवार के दिन यहां पर भारी भीड़ रहती है, देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शनि देव के दर्शन करने के लिए भक्त आते हैं, कोकिलावन धाम की सवा कोस की परिक्रमा है इसकी परिक्रमा करने के बाद सूर्य कुंड में स्नान किया जाता है, उसके पश्चात शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पित करके पूजा-अर्चना की जाती है।