शहीद अक्षय की पत्नी ने लिखा लेटर, कहा- ‘अब तक नहीं धोई उनकी वर्दी, जब बहुत याद आती है तो..’
सीमा पर तैनात जवान हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा देते हैं, ताकि हम अपने घरों में बैठकर सुकून की ज़िंदगी जी सके, लेकिन उनके अपनों की ज़िंदगी हमेशा सिर्फ इंतजार में ही रहती है। जी हां, सीमा पर ड्यूटी देने वाले कई जवान हर साल शहीद होते हैं, जिनके बाद उनकी फैमिली पर क्या बीतती है, इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है, लेकिन एक शहीद की पत्नी ने अपने दिल की बात शेयर की है, जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। इतना ही नहीं, शहीद की पत्नी ने जिस बेबाकी के साथ अपनी कहानी बताई है, उससे हर किसी का दिल पसीज जाएगा। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
साल 2016 में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में हुए आतंकी हमले में भारत के 7 जवान शहीद हुए थे, जिनमें से एक मेजर अक्षय गिरीश कुमार भी थे। मेजर अक्षय गिरीश उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी थे, जो देश के लिए शहीद हो गए। मेजर अक्षय गिरीश के शहीद होने के बाद उनकी फैमिली न जाने क्या क्या नहीं सहा है। हाल ही में अक्षय गिरीश की पत्नी संगीता रवींद्रन का एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने प्रपोज से लेकर शादी तक और फिर बेबी के जन्म से लेकर शहीदी तक के सफर के बारे में बताया है।
प्रपोज से लेकर बच्ची के जन्म तक की कहानी
संगीता रवींद्रन ने पत्र में लिखा कि साल 2009 में मेजर साहब ने उन्हें खुद प्रपोज किया, जिसके बाद हमारी शादी 2011 में हुई। शादी के दो साल के बाद हमारी बेटी का जन्म हुआ, जिसका नाम नैना है। मैं मेजर साहब के साथ ही रहती थी, जहां उन्हें कमरा मिलता था, वही रहती थी। शादी के बाद हम लोग पुणे रहने लगे, लेकिन फिर उनका ट्रांसफर जम्मू कश्मीर के नगरोट में हो गया। नगरोटा में उन्हें कमरा नहीं मिला था, लेकिन मैं फिर उनके साथ ही रहती थी, क्योंकि मैं उनसे दूर नहीं रहना चाहती थी और अपना सारा वक्त उन्हीं के साथ बिताना चाहती थी, इसीलिए मैं उन्हीं के साथ रही।
ऐसे हुए थे अक्षय गिरीश शहीद
संगीता रवींद्रन ने आगे लिखा कि 29 नवम्बर की सुबह 5:30 बजे अचानक गोलियों की आवाज़ से हमारी आंख खुली, तो हमें लगा कि ट्रेनिंग हो रही है, लेकिन 5.45 मिनट पर अक्षय का एक जूनियर ने बताया कि आतंकियों ने तोप-खाने की रेजिमेंट को बंधक बना लिया है, जिसके बाद उनका आखिरी शब्द यही था कि इसके बारे में तुम्हें लिखना चाहिए। इस दौरान वहां मौजूद महिलाओं और बच्चों को एक सुरक्षित कमरे में ले जाया गया और मैंने अपने ससुराल वालों को मैसेज किया कि वे अभी लड़ाई में हैं। दिन ढलता गया, लेकिन उनकी कोई खबर नहीं आई। जब मैंने उन्हें फोन किया, तो किसी ने फोन उठाकर कहा कि उन्हें दूसरी जगह भेज दिया गया है। शाम को 6 बजे कुछ अफसर मुझसे मिलने आए और उन्होंने कहा कि हमने अक्षय को खो दिया, वे सुबह 8:30 शहीद हो गए।
मैंने आज तक नहीं धोई उनकी वर्दी
पति के शहीद होने की खबर सुनकर संगीता की पूरी दुनिया उजड़ गई थी, उन्हें बहुत दुख हुआ और कुछ देर बाद उन्हें अक्षय गिरीश का सारा सामान दे दिया, जिसके बाद वे घर आ गई। संगीता ने लिखा कि नैना को समझाना मुश्किल था, लेकिन बाद में मैंने उससे कहा कि तुम्हारे पापा तारा बन गए हैं। इसके बाद नैना ने लिखा कि मैंने आज तक उनकी वर्दी नहीं धुली है और जब मुझे उनकी याद आती है, तो मैं उसे पहन ले लेती हैं, क्योंकि मैं उससे बहुत प्यार करती हूं।