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जेल में मक्खी वाली दाल पीते थे संजय दत्त, खुद बताया सलाखों के पीछे का अनुभव

जेल का समय संजय दत्त की जिंदगी का सबसे कठिन समय था. हालाँकि इस समय ने संजय को बहुत कुछ सिखाया और उनके अंदर कई सारे बदलाव भी आए. अब वे लाइफ को बिलकुल अलग ही नजरिए से देखते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 1993 में हुए मुंबई बम धमाको के दौरान गैरकानूनी रूप से हथियार रखने के लिए संजय दत्त को जेल हुई थी. जेल में रहते हुए उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था. ऐसे में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने इस जेल के अनुभव को डिटेल में साझा किया था. आज हम आपको उसी इंटरव्यू की कुछ ख़ास बाते बताने जा रहे हैं.

संजय कहते हैं “पुणे की जेल में बहुत सारी मक्खियाँ होती थी, मतलब लाखों की संख्या में, जहाँ देखो वहां जैसे आपके बालों में, कपड़ो में और यहाँ तक कि आपके खाने में भी वो आ जाती थी. जब दाल में मक्खी निकलती थी तो मैं मक्खी को निकाल दाल पी जाता था. लेकिन मेरा एक साथ आरोपी मक्खी वाली दाल कभी नहीं पीता था. ऐसे में मैं उससे यही कहता था कि’ यार तू कब तक भूखा रहेगा?’ फिर वो मुझ से पूछता भी था कि ‘यार तू ये मक्खी वाली दाल कैसे खा लेता हैं?’ तो मैं उसे बोला था कि दाल मैं प्रोटीन होता हैं. अब जेल में तो प्रोटीन मिलता नहीं इसलिए यही एक रास्ता हैं बॉडी को प्रोटीन देने का. इसके बाद वर्तमान में जब मेरी बीवी काली दाल भी बनाती हैं तो मैं कभी शिकायत नहीं कर पाता हूँ.

संजय ने अपने बच्चों को जेल वाली बात नहीं बताई थी. वे कहते हैं कि “जब मैं जेल में था तो तीन साल तक बच्चों को नहीं देख पाया था. ये मेरे लिए काफी मुश्किल था. मेरी बीवी कहती भी थी कि मैं उन्हें ले आती हूँ आप से मिलने.. लेकिन मैं कहता था ऐसा कभी मत करना. मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चे मुझे जेल के फटे कपड़े और टोपी में देखे. मैं नहीं चाहता था कि वो मेरी इस इमेज को दिमाग में बैठा के आगे की लाइफ जिए. लेकिन आज कल के बच्चे बहुत स्मार्ट हैं. वे बोलते थे कि पापा को फोटो वाला फोन लगाओ. ऐसे में मैं उन्हें कहता था कि मैं पहाड़ो में शूट कर रहा हूँ तो नेटवर्क प्रॉब्लम रहता हैं. उन्हें अभी भी यही जानकारी हैं. जेल में मैं उनसे महीने में दो बार फोन पर बात किया करता था.

अपनी गिरफ्तारी वाले पल का जिक्र करते हुए संजय कहते हैं “मैं मोरीशश में शूट कर रहा था तब मेरी बहन का फोन आया था कि मेरे ऊपर राइफल रखने के चार्ज हैं. तब मैंने कहा था ‘क्या सच में?’ फिर मेरे पापा का फोन आया और उन्होंने मुझे इंडियन एम्बेसी जाने को कहा. उन लोगो ने मुझे कहा कि पहले तुम शूटिंग पूरी कर के आ जाओ. लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका. मुझे कोई आईडिया नहीं था कि वहां मेरे घर में क्या हो रहा हैं. फिर जब मैं मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचा तो वहां 50 हजार पुलिसकर्मी मेरे ऊपर गन पॉइंट कर खड़े थे, जैसे कि मैं कोई ओसामा बिन लादेन हूँ.

संजय बताते हैं “उस समय तो मैं ये भी नहीं जनता था कि ‘टाडा’ (पुणे का जेल) क्या हैं. जब मुंबई क्राइम ब्रांच के कमिश्नर एमएन सिंह ने कहा कि मुझे मुंबई ब्लास्ट केस के आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा हैं तो मैंने उसे कहा ‘आप ये सोच भी कैसे सकते हैं कि मैं अपने ही शहर को उड़ा सकता हूँ? मैं अपने देश के खिलाफ कैसे जा सकता हूँ?’ फिर उन्होंने कहा कि ‘सॉरी पर हमें तुम्हे गिरफ्तार करना ही होगा.”

जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दे कि संजय दत्त ने 2016 में अपना जेल की सजा पूरी की थी. अंतिम बार वे करण जोहर की ‘कलंक’ फिल्म में नज़र आए थे.

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