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शास्त्रों में बताए गए हैं भोजन करने के ये 7 नियम, पालन करेंगे तो हमेशा रहेंगे स्वस्थ
शास्त्र मनुष्य को सफल जीवन जीने के मार्ग बताते हैं, ऐसे में शास्त्रों में धर्म-कर्म से लेकर दैनिक जीवन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात का उल्लेख मिलता है। शास्त्रों में दैनिक जीवन की सभी क्रियाओं के लिए उचित नियम और कायदे बताए गए हैं, जिसमें भोजन सम्बंधी जरूरी नियमों का उल्लेख किया गया है। वैसे आज के आधुनिक युग में शास्त्रों की बातें भूला दी गई हैं पर वास्तव मे अगर इन नियमों का पालन किया जाए तो जीवन धन्य हो सकता है। खासकर अगर शास्त्रों के नियमानुसार भोजन किया जाए, तो ये धार्मिक दृष्टि से हमारे लिए हितकारी तो होगा ही साथ ही इनके पालन से हमें सेहत का लाभ भी मिलेगा। आज हम आपको भोजन से जुड़े ऐसे ही कुछ 7 नियमों के बारे में बता रहे हैं।
- दरअसल हिंदू धर्मशास्त्रों में अन्न को देवता माना गया है, ऐसे में शास्त्रानुसार, जो व्यक्ति भोजन यानी अन्न का अनादर करता है या नियमानुसार भोजन नहीं करता, उससे अन्न देवता रुष्ट हो जाते हैं। इसलिए शास्त्रों में भोजन करने के कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं। जिनका अनुसरण करने से देवता प्रसन्न रहते हैं और व्यक्ति आजीवन आरोग्य रहता है । चलिए जानते हैं भोजन से जुड़े ऐसे ही कुछ जरूरी नियमों के बारे में..
- शास्त्रों के अनुसार बिना नहाये-धुले भोजन नहीं करना चाहिए, इसके कारण किया गया भोजन शरीर को नहीं लगता है और अन्न साथ ही इससे देवता भी नाराज होते हैं। दरअसल शास्त्रों की माने तो जो व्यक्ति बिना हाथ-मुंह धोए और नहाये बिना या फिर गंदे स्थान पर बैठकर भोजन करते हैं, उन्हे आर्थिक हानि उठानी पड़ती है, साथ ही घर में धन-धान्य की कमी और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ ता है। साथ ही इसकी वजह से स्वास्थ्य भी खराब रहता है।
- शास्त्रों के अनुसार भोजन करने का सबसे उपयुक्त स्थान जमीन है। इसके अलावा बिस्तर, कुर्सी, सोफा आदि पर बैठकर भोजन करना धार्मिक दृष्टि से गलत माना गया है।
- वहीं शास्त्रों में भोजन की पहली रोटी गाय के लिए निकालने की बात कही गई है, अगर किसी कारण वश आप रोटी गाय को नहीं दे पाते हैं तो , भोजन शुरू करने से पहले अपना पहला ग्रास भगवान के नाम का निकालना चाहिए और फिर उनको धन्यवाद देकर भोजन शुरू करना चाहिए।
- अक्सर भोजन करते समय उसका कुछ अंश नीचे जमीन पर भी गिर जाता है पर हम सामान्यतया इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में जमीन पर गिरा भोजन पैरों के नीचे भी आ जाता है, जो कि गलत है। दरअसल धार्मिक दृष्टि से अन्न को पैरों से लगाना बड़ी भूल मानी जाती है, ऐसे में अगर भोजन करने के दौरान जब अन्न नीचे गिर जाए तो उसे उठाकर रख लें और किसी चिड़िया या चींटी को डाल दें। वहीं अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो फिर उसे उठाकर किसी साफ स्थान पर रख दें।
- अक्सर ऐसा होता है कि लोग अपनी थाली में आवश्यकता से अधिक भोजन ले लेते हैं और फिर जब भूख खत्म हो जाती है तो थाली में वैसे ही भोजन छोड़ देते हैं जबकि थाली में बचा झूठा भोजन, वास्तु और ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से अच्छा नहीं माना जाता। मान्यता है कि थाली में भोजन छोड़ने से देवी लक्ष्मी नाराज होकर घर से दूर चली जाती हैं और इसके कारण घर में धन आगमन बाधित होता है। ऐसे में उचित यही होगा कि बचे हुए भोजन को किसी जानवर को खिला दे।
- धार्मिक मान्यताओं की माने तो बचे हुए भोजन को कचरे में फेंकने या अपवित्र स्थान पर डालने से , घर खड़े-खड़े भोजन करने से, जूते पहनकर खाने, से व्यक्ति की आयु कम होती है।