नहीं करने चाहिए भगवान की इन 5 तरह की मूर्तियो के दर्शन, कृपा की बजाए मिलता है अशुभ फल
सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष मह्त्व है, ऐसे में हिंदू धर्म को मानने वाले हर घर में देवी-देवताओं की मूर्तिया जरूर होती हैं, जिनकी पूजा-अर्चना कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से की जाती है। वैसे इसके सथ ये जानना बेहद जरूरी है कि हर मूर्ति शुभ फलदायी नहीं होती है, दरअसल ज्योतिष शास्त्रों की माने तो कई सारी ऐसी मूर्तियां भी होती हैं, जिनका दर्शन और पूजा करना अशुभ प्रभावों का कारण बन सकता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ स्वरूप और मूर्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका दर्शन करना शास्त्रों में अच्छा नहीं माना गया है।
हमेशा किसी भी देवी-देवता की मूर्ति का सामने से ही दर्श और पूजा-अर्चना करने के नियम है, मूर्ति भगवान की पीठ की तरफ से दर्शन करना अशुभ माना जाता है। इसीलिए घर में भी अपने अराध्य देव की मूर्ति इस तरह रखनी चाहिए कि उनके पीछे का भाग यानि पीठ ना दिखाई दे। खासकर भगवान गणेश की मूर्ति का पीठ का दर्शन अशुभकारी माना गया है, मान्यता है कि ऐसा करने से घर में दरीद्रता आती है।
वहीं घर के पूजा स्थल में एक ही भगवान की दो मूर्तियां रखना भी शुभ नहीं माना जाता , खासतौर पर अगर दोनों ही मूर्तियां एक दूसरे को आमने-सामने हो। मान्ता है कि ऐसी मूर्तियों के दर्शन करने से घर में वाद-विवाद और लड़ाई की परिस्थति उत्पन्न होती है।
वहीं किसी भी देवता की खंडित मूर्ति का घर में होना भ बेहद अशुभ फल देता है, चाहें आपकी कितनी भी गहरी आस्था जुडी उससे जुड़ी हो, पर अगर किसी कारणवश वो मूर्ति खंडित हो जाए तो उसके दर्शन करना अशुभ फलों का कारण बनता है। ऐसे में अगर आपके पूजा घर में कोई मूर्ति खंडित हो जाए तो उसे किसी नदीं में प्रवाहित कर दें।
वहीं भगवान की ऐसी मूर्ति जिसमें वे रौद्र रूप धारण किए हो उसे घर में रखकर उसकी पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए भगवान की सौम्य रूप और आशीर्वाद की मुद्रा वाली मूर्ति का ही पूजन और दर्शन करना चाहिए।
वहीं अगर किसी मूर्ति में भगवान युद्ध करते या किसी का विनाश करते नज़र आए तो ऐसी मूर्ति का दर्शन करना भी अशुभकारी हो सकता है , ये आपके जीवन में दुःखों का कारण बन सकता है। इसलिए ऐसी किसी मूर्ति का दर्शन करने से बचें।