अध्यात्म

हनुमान जी ने बतायी थी लोगों को प्रभावित करने की कला, आप भी सिख सकते हैं

रामायण के जरिए हमें कई ऐसी सीख मिलती हैं, जिनको अपनाने से जीवन में शांति आ जाती है और जीवन सुख के साथ कट जाता है। रामायण से जुड़े सबसे बड़े पात्र हनुमान जी से हमें काफी चीजों का ज्ञान मिलता है। हनुमान के लंका कांड के जरिए हमें इस चीज की सीख मिलती है कि किस तरह से हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए।

इस तरह से करें लोगों को प्रभावित

हनुमान को लंका में रावण से बात करने का मौका मिला और इस मौके का इस्तेमाल हनुमान जी ने काफी अच्छे से किया। रावण से मिलकर हनुमान जी ने उन्हें राम के बारे में बताया और सीता मां को छोड़ने का आग्रह किया। लेकिन रावण इतना अहंकारी था कि उसने हनुमान जी की बातों को नहीं समझा और हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी। भरी सभा में हनुमान और रावण के बीच जो बात हुई और जिस तरह से हनुमान जी ने लंका में आग लगा दी। ये खबर दूर-दूर तक फैल गई और हर राक्षस को हनुमान जी की ताकत का एहसास हो गया।

रावण से हुई पहली मुलाकात में हनुमान जी ने अपनी गहरी छाप उनपर छोड़ी और रावण के साथ- साथ सभी राक्षस भी हनुमान जी से काफी प्रभावित हुए हैं। हनुमान जी के प्रभाव का वर्णन रावण और कालनेमि नामक राक्षक के बीच हुई वार्तालाप से मिलता है।

रामायण के अनुसार जब लक्ष्मण जी युद्ध के दौरान मूर्छित हो गए थे। तब हनुमान जी उन्हें होश में लाने के लिए एक औषधि की तलाश में निकल पड़े। रावण को इस बात की सूचना मिली की हनुमान जी औषधि की तलाश में निकल गए हैं और वो एक पर्वत की और जा रहे हैं। रावण नहीं चाहता था कि हनुमान जी को औषधि मिले इसलिए रावण ने कालनेमि नामक राक्षस से मुलाकात की और इस राक्षस से कहा कि वो किसी तरह से हनुमान जी को औषधि लेने से रोके।

रावण की ये बात सुनकर कालनेमि काफी हैरान हो गया और कालनेमि ने रावण से कहा –

‘दसमुख कहा मरमु तेहिं सुना। पुनि पुनि कालनेमि सिरू धुना।।

देखत तुम्हहि नगरू जेहिं जारा। तासु पंथ को रोकन पारा।।

इस दोहे के अनुसार कालनेमि ने रावण की बात सुनने के बाद अपना सिर पीटना शुरू कर दिया और रावण से कहा, हे रावण जिसने तुम्हारे सामने तुम्हारी पूरी लंक में आग लगा दी और तुम उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सखे। तो मैं कैसे हनुमान को रोक सकता हूं। जिसे तुम ना रोक सके उसे कोई भी नहीं रोक सकता है। कालनेमि की इस बात से रावण को एहसास हो गया की हनुमान ने जो उनके साथ लंका में किया था उसका प्रभाव दूर-दूर तक फैल गया है और हर राक्षस हनुमान जी के बल से डरा हुआ है।

हनुमान जी के लंका कांड से हमें सीखने को मिलता है कि जब भी हमें जीवन में अपना पक्ष रखने का मौका मिले, तो हमें उस मौके का फायदा अच्छे से उठना चाहिए। जिस तरह से हनुमान जी ने रावण से वार्त कर इस मौका का फायदा उठाया और अपनी बातों से सभी राक्षकों को प्रभावित किया। उसी तरह से हमें भी अपने जीवन में अपने शब्दों से लोगों को प्रभावित करना चाहिए और मौके का फायदा अच्छे से उठना चाहिए।

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