मां तो मां होती है, भूखी थी आदिवासी की बच्ची, फरिश्ता बनकर आई 2 महिला कांस्टेबल, कराया स्तनपान
कहते हैं एक मां का दिल बहुत बड़ा होता है। वह बच्चे को दुख या तकलीफ में नहीं देख सकती है। फिर वह बच्चा उसका अपना हो या पराया। आज हम आपको दो ऐसी महिला कांस्टेबलों से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने यशोदा बनकर एक अनजान बच्ची को अपना दूध पिलाया। यदि बच्ची को दूध पिलाने में थोड़ी और देर हुई होती तो उसकी जान भी जा सकती थी। तो चलिए ममता और मानवता से भरे इस मामले को थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।
महिला कांस्टेबल ने पिलाया भूखी बच्ची को दूध
यह पूरा मामला राजस्थान के कोटा संभाग के बारां (Baran) जिले का है। यहां सारथल पुलिस थाने इलाके में एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने सभी का दिल जीत लिया। यहां मुकलेश और पूजा नाम की दो महिला कांस्टेबल एक आदिवासी की बच्ची को दूध पिलाते नजर आई। उन्हें ये बच्ची भीषण गर्मी में जंगल में अचेत हालत में मिली थी। भूख और प्यास से उसकी हालत बहुत खराब थी।
जंगल में बच्ची के साथ उसका बाप राधेश्याम काथोड़ी भी था। हालांकि वह बुरी तरह से नशे में धुत था। किसी ने उसे जंगल में बच्ची के साथ देख लिया था। फिर पुलिस को सूचना कर दी थी। सूचना मिलने पर पुलिस जंगल में गई तो उन्हें झाड़ियों के पास नशे में धूत बाप और उसकी बच्ची मिली। बच्ची की नाजुक हालत देख महिला कांस्टेबल ने झट से उसे अपने सीने से चिपका लिया।
नशेड़ी बाप बच्ची को जंगल ले गया था
बच्ची की उम्र महज ढाई माह बताई जा रही है। पुलिस बच्ची और उसके नशेड़ी बाप को अपने साथ थाने ले आई थी। बच्ची बहुत भूखी थी। इसलिए महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने उसे बारी-बारी से अपना दूध पिलाया। इससे बच्ची की भूख शांत हो गई। वहीं बाद में बच्ची को उसकी मां के हवाले कर दिया गया।
अब यह पूरी घटना सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है। जिसने भी इसके बारे में सुना वह महिला कांस्टेबलों की तारीफ करने लगा। अधिकतर देखा जा है कि पुलिस को लेकर नेगेटिव खबरें ही आती है। बहुत से लोगों को भी लगता है कि पुलिस वाले बिना पैसे के कुछ नहीं करते हैं। लेकिन ये सही नहीं है।
डिपार्टमेंट में कई अच्छे लोग भी मौजूद हैं। ये समय-समय पर मानवीय कार्यों से जनता का दिल जीत लेते हैं। इस घटना से आप भी प्रेरित होए और कोई बच्चा मुसीबत में हो तो उसकी मदद को तुरंत आगे आएं।