उत्तराखंड का चमत्कारिक मंदिर, जहां पर विराजमान देवी भक्तों की मुरादें करती हैं पूरी
हमारे देश भर में ऐसे बहुत से प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर मौजूद है जिनकी महिमा के आगे लोगो का अटूट विश्वास देखने को मिलता है, इन मंदिरों में आए दिन किसी न किसी प्रकार के चमत्कार होते रहते हैं, अपने इन्हीं चमत्कार की वजह से यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है, एक ऐसा ही मंदिर उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर मौजूद है जिसको मां पूर्णागिरि के मंदिर से जाना जाता है, ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त इस मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए आते हैं उनकी सभी मुरादें माता रानी अवश्य पूरी करती है, माता रानी का पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर क्षेत्र में स्थित ,है यहां का वातावरण लोगों को काफी आकर्षित करता है, माता का यह मंदिर हरी-भरी पहाड़ियों के बीच मौजूद है, इस मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए लोग देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं, दूर-दूर से लोग माता के इस मंदिर में दर्शन करने के लिए भारी संख्या में आते हैं, वैसे तो इस मंदिर में लोगों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में भारी संख्या में भक्त माता के दरबार में आते हैं।
माता रानी के पूर्णागिरी मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि का भाग गिरा था, जब भगवान विष्णु जी ने अपने चक्र से प्रहार किया था तब माता का नाभि का हिस्सा इस स्थान पर आकर गिर गया था, यह 108 सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है, यह स्थान महाकाली का पीठ है, माता रानी का पूर्णागिरी मंदिर नेपाल के बहुत ही करीब है, अगर आप कभी माता रानी के पूर्णागिरी मंदिर में जाते हैं तो आप नेपाल से जा सकते हैं।
पूर्णागिरी मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि एक बार एक सेठ ने पुत्र प्राप्ति के लिए मां पूर्णागिरि से मनोकामना मांगी थी, जब सेठ ने माता से मन्नत मांगी तब उन्होंने मन्नत पूरी होने के पश्चात सोने का मंदिर बनवाने को कहा था, मां पूर्णागिरि के आशीर्वाद से सेठ के घर में पुत्र ने जन्म लिया था, इसके पश्चात सेठ ने सोने का मंदिर ना बनवा कर तांबे का मंदिर बनवाया और उस पर सोने का पानी चढ़ा दिया था, ऐसा भी बताया जाता है कि जब मंदिर को मजदूर ले जा रहे थे उस दौरान मजदूर रास्ते में मंदिर को जमीन पर रखकर विश्राम करने लगे थे, विश्राम करने के पश्चात जब उन्होंने मंदिर को उठाया तब वह उस स्थान से नहीं उठा था, इसी वजह से सेठ और मजदूर उस मंदिर को वहीं पर छोड़ कर वापस आ गए थे।
अगर आप माता के दरबार में कभी जाने का प्लान बनाये तो आप पूर्णागिरी मंदिर में सड़क, रेल और वायु मार्ग से जा सकते हैं, इस स्थान का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है, जो 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अगर आप वायु मार्ग से जा रहे हैं तो आपको पंतनगर उतरकर मंदिर जाने के लिए 121 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, माता के दरबार में लोग दर्शन करके मानसिक शांति का अनुभव करते हैं और यहां के आसपास के वातावरण को देख कर मन की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं।