कैदियों को वंश बढ़ाने की मिलेगी अनुमति, कैदी संग निजी मुलाकात के लिए पत्नी को दी जायेगी अनुमति
पंजाब में भगवंत मान सरकार लगातार चर्चाओं में है। उसके एक एक फैसले की चर्चा पूरे देश में हो रही है। अब एक नया और अनोखा फैसला (Punjab government Big decision) सामने आया है। जिसमें जेल में बंद कैदियों के लिए नई व्यवस्था की गई है। जो शायद देश में पहली बार अपनी तरह का प्रशासनिक निर्णय है। ऐसा इसलिए क्योंकि पंजाब में पहली बार बठिंडा सेंट्रल जेल में विदेशी जेलों की तरह कैदियों को पत्नियों से मिलने के लिए एकांत (prisoners will meet life partner in solitude) में दो घंटे का समय दिया जायेगा।
पंजाब सरकार को क्यों लेना पड़ा ये बड़ा फैसला
दरअसल, पंजाब सरकार ने ये बड़ा फैसला वंश बढ़ाने से जुड़ी अपील पर कोर्ट की अनुमति के बाद दी है। असल में, बीते कुछ समय में पंजाब में कोर्ट में ऐसे कई पिटीशन आए जिसमें जेल मे बंद कैदियों की बीवियों ने वंश आगे बढ़ाने के लिए पति के साथ एकांत में कुछ वक्त बिताने की इजाजत मांगी। गौरतलब है कि जेल से बाहर रहने वाली पत्नी के मानवाधिकारों के तहत उसे वंशवृद्धि का पूरा अधिकार है। ऐसे में भारत के अलावा बाहर के कई देशों में पहले से जेल में बंद कैदी को अपने जीवन साथी से मिलने की इजाजत मिली हुई है।
कुछ इस तरह से काम करेगी ये व्यवस्था
वहीं पंजाब की बठिंडा सेंट्रल जेल में ये व्यवस्था शुरू होने जा रही है। जहां कैदियों को इसके लिए बकायदा जेल प्रशासन को आवेदन देना होगा, जिसकी मंजूरी के लिए कई नियम और प्राविधान है। जिसे देखने और जांचने के बाद ही, कैदी को निजी मुलाकात की अनुमति दी जाएगी। इसके लिये दिन, तारीख और समय भी तय किया जाएगा। जहां कैदी अपनी पत्नी के साथ अंतरंग संबंध भी बना सकेंगे। इसके लिए उन्हें निजी कमरों के साथ ही बिस्तर और दूसरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
जबकि पहले कैदियों को पत्नी की बात कांच की एक दीवार के आमने-सामने टेलीफोन के ज़रिए ही कराई जाती थी। बटिंडा जेल की इस नई व्यवस्था को लेकर विशेषज्ञों का कहना है, कि इसका स्वागत किया जाना चाहिए। इससे जेल में बंद कैदियों का तनाव कम होगा, उन्हें भावनात्मक शांति मिल पाएगी। कैदियों की निजता का ध्यान रखा जाएगा, तो इससे कैदी के आचरण में भी बदलाव दिखेगा। हालंकि जेल की इस व्यवस्था (prisoners will meet life partner in solitude) का लाभ उन्हीं कैदियों को मिलेगा, जो अच्छा आचरण करेंगे।
ऐसे कैदियों को नहीं मिलेगा इसका लाभ
हालांकि जेल अधिकारी ने ये भी साफ किया, जो कैदी महिला उत्पीड़न और अत्याचार से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं, उन हवालातियों या कैदियों की मुलाकात पत्नी से नहीं कराई जाएगी। जेल अधीक्षक के मुताबिक ये व्यवस्था पुरुष जेल के अलावा महिला जेल में बंद महिला बंदियों के लिए भी की गई है। महिला कैदी भी निजी मुलाकात पति से कर सकेंगी। जेल अधिकारियों का मानना है, कि जेल में बंद कैदी अवसाद या डिप्रेशन का शिकार होते है। इससे तनाव और डिप्रेशन के मामलों में कमी आएगी। नई पहल से एक मनोवैज्ञानिक बल मिलेगा। साथ ही अपनों के करीब आकर अपना भावनात्मक-अकेलापन भी दूर कर पाएंगे।