यहां स्कूल में बच्चों को मिल रही मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग, प्रति हैंडसेट मिलते हैं इतने रुपए
मोबाइल चोरी के मामले दिन प्रति दिन बढ़ते चले जा रहे हैं। अधिकतर यही देखा जाता है कि युवा लोग राह चलते लोगों के मोबाइल चुरा कर भाग जाते हैं। लेकिन हाल ही में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो बच्चों से मोबाइल चोरी करवाता है। इतना ही नहीं उन्होंने मोबाइल चोरी करना सिखाने के लिए बाकायदा स्कूल भी खोल रखे हैं। जब कुछ बच्चे पुलिस के हाथ लगे तो गिरोह को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए।
स्कूल में मोबाइल चोरी करना सीखते थे बच्चे
बच्चों को मोबाइल चोरी करना सिखाने वाले यह ‘स्कूल’ झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल और तिनपहाड़ कस्बों में मौजूद हैं। यहां गरीब और आर्थिक रूप से मजबूर बच्चों को मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग दी जाती है। फिर उन्हें बड़े शहरों में मोबाइल चोरी के लिए भेजा जाता है। यहां गिरोह के नेता उन्हें अलग-अलग इलाके बाटता है। जब बच्चे मोबाइल चोरी करते हैं तो गिरोह के लोग आसपास खड़े होकर उन पर नजर रखते हैं।
पुलिस ने इस गिरोह के चार नाबालिग बच्चों को पकड़ा है। उनके पास से 43 चोरी के मोबाइल भी मिले हैं। एक 17वर्षीय बच्चे ने खुलासा किया कि वह इसके पहले 2020 में भी मोबाइल चोरी में पकड़ा गया था। लेकिन चार महीने तक बिहार के बक्सर जिले के किशोर गृह में रहने के बाद छूट गया। इसी तरह गिरोह के 11 साल के बछके ने भी बताया कि कैसे वह मोबाइल चोरी करते पकड़ा गया और सिर्फ 11 दिनों के लिए बिहार के भागलपुर में एक किशोर गृह में रहने के बाद बाहर आ गया।
फिक्स होता है रोज का टारगेट और कमीशन
दरअसल बच्चों को चोरी के जुर्म में बस कुछ ही दिन किशोर गृहों में रखा जाता है। वहीं पुलिस भी इनसे ज्यादा सख्ती या पूछताछ नहीं करती है। गिरोह के लोग इसी का फायदा उठाते हैं। बच्चे ने बताया कि गिरोह उन्हें दिन के 8 से 10 मोबाइल चोरी करने का टारगेट देते हैं। मोबाइल के ब्रांड और कीमत के अनुसार इन्हें प्रति हैंडसेट 1000 रुपये से 2000 रुपये दिए जात हैं। बच्चे ये काम अपने माता-पिता की अनुमति से ही करते हैं।
ज्यादातर बच्चे साहिबगंज जिले (झारखंड) के तिनपहाड़, तालझरी और महाराजपुर और पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के बरनपुर, हीरापुर, आसनसोल के रहने वाले हैं। इन्होंने तिनपहाड़ और राजमहल में मोबाइल चोरी की ट्रेनिंग ली है। चोरी हुए सभी मोबाइल गिरोह साहिबगंज ले जाता है। यहां से मोबाईल को नेपाल और बांग्लादेश बेचने के लिए भेजा जाता है। पुलिस ने अकेले रांची से ही गिरोह के 30 से अधिक नाबालिग बच्चों को दबोचा है।