अध्यात्म

माता का चमत्कारिक शक्तिपीठ जहां पवित्र कुंड में नहाने से सभी रोगों से मिलता है छुटकारा

हमारा भारत वर्ष धार्मिक देशो में से एक माना जाता है और हमारे भारत देश में माता रानी के कुल 51 शक्तिपीठ माने गए हैं, ऐसा माना जाता है कि माता सती के अंग जहां-जहां पर गिरे थे उस स्थान पर शक्ति पीठ की स्थापना हो गई थी, वैसे तो सभी शक्तिपीठ का अपना महत्व माना गया है परंतु आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से जिस शक्तिपीठ के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, यह शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में स्थित है।

उत्तर प्रदेश में स्थित माता रानी का यह शक्तिपीठ बलरामपुर जिले से लगभग 28 किलोमीटर दूरी पर तुलसीपुर में बना हुआ है, ऐसा बताया जाता है कि इस स्थान पर माता सती का कंधा और पट अंग गिरा था, जिसकी वजह से इसको पाटन कहा जाता है, इस स्थल को योगपीठ भी माना जाता है, इस शक्तिपीठ में विराजमान माता को मां पाटेश्वरी के नाम से लोग जानते हैं, यह मंदिर दुनियाभर में काफी मशहूर है, माता का यह पवित्र स्थल नेपाल सीमा के बिल्कुल करीब है, इस मंदिर में लोग देश भर से माता के दर्शन करने के लिए उपस्थित होते हैं।

मान्यता अनुसार ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का संबंध माता सती के साथ-साथ भगवान शिव जी, गुरु गोरखनाथ और कर्ण से जुड़ा हुआ है, इस मंदिर के महंत का ऐसा कहना है कि चैत्र और शारदीय नवरात्र में माता की पिंडी के पास चावल की ढेरी बनाकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है, पूजा समाप्त होने के बाद चावल को भक्तों के बीच बांटा जाता है, रविवार के दिन माता रानी को हलवे का भोग लगाया जाता है और शनिवार के दिन आटे और गुड़ से बनी रोटी का विशेष भोग लगता है।

माता रानी के इस पवित्र स्थल के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस शक्तिपीठ का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, यहां पर एक कुंड स्थित है, जहां पर कर्ण ने स्नान किया था और सूर्य देवता को अर्घ्य दिया था, ऐसा बताया जाता है कि इस शक्तिपीठ के कुंड में जो श्रद्धालु स्नान करता है उसके सभी पाप खत्म हो जाते हैं, इतना ही नहीं बल्कि लोगों के सभी रोग भी दूर हो जाते हैं, इस कुंड में स्नान करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं, इस कुंड को सूरज कुंड कहा जाता है।

इस मंदिर में माता रानी को प्रसन्न करने के लिए मां पाटेश्वरी माता के दरबार में पौराणिक गायन और नृत्य किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि नृत्य करने से देवी माता रानी जी खुश होती है और खुश होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करती है, माता के इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, जब इस मंदिर में अधिक भीड़ हो जाती है तो यहां पर विशेष पूजा होती है, श्रद्धालुओं के बीच माता रानी का यह शक्तिपीठ आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, यहां पर जो भी भक्त माता के दर्शन करने के लिए आता है उसको अपने सभी पाप और बीमारियों से मुक्ति मिलती है, विशेष रूप से इस मंदिर में बने हुए कुंड में लोग स्नान करके अपने सभी रोगों से मुक्ति पाते हैं, माता का यह दरबार देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

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