महालक्ष्मी इस मंदिर में बदलती है अपना रूप, दर्शन मात्रा से भक्तों की भर जाती है खुशियों से झोली
ऐसा बताया जाता है कि धन की देवी माता लक्ष्मी जी की कृपा मात्र से ही व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है, जैसा कि आप लोग जानते हैं लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा जाता है और इनकी कृपा किसी व्यक्ति पर हो तो उस व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन से जुड़ी हुई परेशानियां उत्पन्न नहीं होती है, इसके अलावा माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से व्यक्ति की बहुत सी समस्याओं का समाधान होता है, वैसे देखा जाए तो देश भर में माता लक्ष्मी जी के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है और इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, परंतु आज हम आपको माता लक्ष्मी जी के एक ऐसे प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो पूरे देश में अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है जी हां, इस मंदिर के अंदर माता लक्ष्मी जी की मूर्ति अपना रंग बदलती है।
हम आपको माता लक्ष्मी जी के जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित है, इस मंदिर को पचमठा मंदिर के नाम से लोग जानते हैं, यह मंदिर अपने आप में बहुत ही अनोखा है, वैसे इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमा मौजूद है और इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर माता लक्ष्मी जी की एक बहुत ही प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, जिसके बारे में बहुत सी कहानियां प्रचलित है, ऐसा बताया जाता है कि माता लक्ष्मी जी की मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है।
माता लक्ष्मी जी के इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आता है, उसका ऐसा कहना है कि सुबह के समय माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा सफेद होती है, दोपहर के समय इस प्रतिमा का रंग पीला हो जाता है और शाम के समय माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा का रंग नीला हो जाता है, इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान आधार सिंह के नाम से बने आधारताल तालाब में करवाया गया था, इस मंदिर में अमावस की रात को भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है।
माता लक्ष्मी जी का यह मंदिर अपने आप में बहुत ही अनोखा है और यह मंदिर दुनिया भर में अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है, यह मंदिर तांत्रिकों की साधना का विशेष केंद्र बना हुआ करता था, ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर की चारों तरफ श्री यंत्र की विशेष रचना है, यह मंदिर 1100 वर्ष पहले बनाया गया था और इसकी अंदरूनी भाग में श्रीयंत्र की अनूठी से रचना की गई थी और सबसे बड़ी विशेषता इस मंदिर की यह है कि सूर्य की पहली किरण माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा के चरणों पर ही पड़ती है।
माता लक्ष्मी जी के इस मंदिर में वैसे तो रोजाना भक्तों का आना जाना लगा रहता है परंतु शुक्रवार के दिन इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है, जैसा कि आप लोग जानते हैं शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी जी का दिन माना गया है, इसी वजह से भक्त इस मंदिर में शुक्रवार के दिन भारी संख्या में माता के दर्शन करने के लिए उपस्थित होते हैं, ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति 7 शुक्रवार यहां आकर माता लक्ष्मी जी के दर्शन करता है तो उसकी सभी मुरादें माता रानी पूरी कर देती हैं।