इन कामों को केवल कर सकते थे रामभक्त हनुमान, जानिए कौन से थे वह कार्य
कलयुग में महाबली हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की पुकार सबसे शीघ्र सुनते हैं, यह अपने भक्तों के ऊपर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं, इसी वजह से हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा जाता है, यह अपने भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं, इतना ही नहीं बल्कि शिवपुराण के अनुसार देखा जाए तो त्रेतायुग में भगवान श्री राम जी की सहायता करना और दुष्टजनों का नाश करने में भी हनुमान जी की अहम भूमिका थी, हनुमान जी को शिव जी का अवतार माना गया है, यह शिवजी के श्रेष्ठ अवतारों में से एक हैं, यदि भगवान श्री राम जी और लक्ष्मण जी पर कोई मुसीबत आई है तो हनुमान जी ने अपनी बुद्धिमानी और पराक्रम से सभी मुसीबतों का समाधान किया है, हनुमान जी के पराक्रम से ही रावण पर विजय प्राप्त हुई थी।
आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ ऐसे कार्यों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो सिर्फ राम भक्त हनुमान जी ही कर सकते थे, इन कार्यों को करना और किसी के बस की बात नहीं थी।
आइए जानते हैं किन कार्यों को केवल कर सकते थे राम भक्त हनुमान
- रामायण काल में जब माता सीता जी की खोज हो रही थी तब समुद्र तट पर अंगद, जामवंत, हनुमान जी भी पहुंचे हुए थे, 100 योजन विशाल समुद्र को देखकर सबका उत्साह कम हो गया था, कोई भी इतने बड़े समुद्र को पार नहीं कर सकता था, तब जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्ति और पराक्रम का स्मरण करवाया था, तब हनुमानजी ने 100 योजन विशाल समुद्र को एक छलांग में पार करके सीता माता की खोज की थी।
- जब हनुमान जी ने सीता माता की खोज की थी तब उन्होंने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर दिया था, हनुमान जी ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वह अपने शत्रुओं की शक्ति का अंदाजा लगाना चाहते थे, जब रावण के सैनिक हनुमान जी को पकड़ने आए तो उन्होंने उनका वध कर दिया था, जब इस बात की खबर रावण को लगी तब रावण ने जंबूमाली नामक राक्षस को हनुमान जी को पकड़कर लाने के लिए कहा था परंतु हनुमान जी ने उसका भी नाश कर दिया था, तब रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा था, जब अक्षय कुमार हनुमान जी को पकड़ कर रावण के समक्ष लाया तब रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने के लिए अपने सैनिकों को कहा, तब हनुमान जी ने पूरे लंका को जला दिया था।
- जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तब उनकी जान बचाने के लिए हनुमान जी ही औषधि लेकर आए थे, जब जामवंत ने हनुमान जी को कहा कि तुम अति शीघ्र ही हिमालय पर्वत पर जाकर ऋषभ तथा कैलाश शिखर पर एक औषधि दिखाई देगी, तुम उसको लेकर आ जाओ, उस औषधि की सुगंध से ही लक्ष्मण पुनः स्वस्थ हो जाएंगे, जामवंत जी के कहने पर हनुमान जी तुरंत ही पर्वत को लेने चले गए, रास्ते में उनके बहुत सी मुसीबतें आई थी परंतु उन्होंने अपनी बुद्धि और पराक्रम का इस्तेमाल किया और वह पर्वत समेत ही औषधि लेकर आ गए थे।
- महाबली हनुमान जी ने बहुत से पराक्रमी राक्षसों का वध किया था, हनुमान जी और रावण के बीच भी भयंकर युद्ध हुआ था, रामायण के अनुसार देखा जाए तो हनुमान जी के थप्पड़ से रावण कांप उठा था, महाबली हनुमान जी के इस प्रक्रम को देखकर वहां पर उपस्थित सभी वानरों में हर्ष छा गया था, हनुमान जी एक बुद्धिमान और पराक्रमी माने गए हैं।