महाशिवरात्रि पर अर्पित करें यह एक चीज, दुर्लभ मनोकामनाएं भी हो जाएंगी पूरी, शिवजी होंगे प्रसन्न
बहुत ही शीघ्र महाशिवरात्रि का त्यौहार आने वाला है, 21 फ़रवरी 2020 को महाशिवरात्रि पड़ रही है, शिवरात्रि का त्यौहार भोले बाबा की पूजा अर्चना करने का सबसे उत्तम दिन माना जाता है, इस दिन आप शिवजी की विधि विधान पूर्वक पूजा करके मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं, भक्त शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इनको बहुत सी चीजें अर्पित करते हैं, परंतु बेलपत्र का अपना अलग ही महत्व माना गया है, ऐसा बताया जाता है कि अगर रोजाना भगवान शिव जी पर बेलपत्र अर्पित किया जाए तो इससे व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं, परंतु अगर आप रोजाना बेलपत्र नहीं अर्पित कर सकते तो आप महाशिवरात्रि या फिर सावन के महीने में जरूर चढ़ाएं, बेलपत्र भगवान शिव जी को अति प्रिय है, अगर आप बेलपत्र शिवजी पर अर्पित करते हैं तो इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही आपके समस्त पाप भी नष्ट होते हैं।
बहुत बार ऐसा होता है कि किसी कारणवश व्यक्ति को बेलपत्र नहीं मिल पाता है, ऐसी स्थिति में आप रजत, ताम्र, स्वर्ण का बेल पत्र बनवा कर पूजा कर सकते हैं, आप महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र शिवजी पर अवश्य अर्पित कीजिए, इससे आप को बहुत से लाभ प्राप्त होंगे और यह आपको विशेष फल प्राप्त करने में सहायता कर सकता है, आज हम आपको बेलपत्र के महत्व और बेलपत्र के फायदे और नियमों के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
बेलपत्र का महत्व और फायदे
बेलपत्र देवों के देव महादेव को अति प्रिय है, ऐसा बताया जाता है कि बेलपत्र की जड़ में महादेव का वास रहता है और बेलपत्र की तीन पत्तियां एक साथ होना त्रिदेव का रूप मानी जाती है, बेलपत्र को लेकर ऐसा भी बताया जाता है कि एक बार माता पार्वती ने अपनी उंगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोंछकर फेंक दिया था उस पसीने की कुछ बूंदे मंदार पर्वत पर गिरी थी और उसी से बेलपत्र उत्पन्न हुआ था, इसी वजह से ज्यादातर इसको मंदिरों के आसपास लगाया जाता है, शिव पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यदि घर पर बेलपत्र का पेड़ लगाया जाए तो इससे व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है कि जहां पर बेलपत्र का पौधा या वृक्ष रहता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल बन जाता है।
बेलपत्र तोड़ने के नियम
- अगर आप बेलपत्र तोड़ते हैं तो इसके लिए शुभ दिन और समय का होना बहुत ही जरूरी है. लिंग पुराण के अनुसार बेलपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति काल और सोमवार के दिनों में बेलपत्र भूल कर भी नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि यह शुभ नहीं माना जाता है।
- अगर आप शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो सर्वप्रथम बेलपत्र की पत्तियों पर चंदन या फिर अष्टगंध से ॐ, शिव पंचाक्षर मंत्र या शिव नाम लिखकर अर्पित कीजिए, अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे आपकी दुर्लभ से दुर्लभ मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
- अगर आप बेलपत्र से शिवजी की पूजा कर रहे हैं तो इसके लिए आपको सभी नियमों का पता होना बहुत ही आवश्यक है, तभी आपको अपनी पूजा का श्रेष्ठ फल मिलेगा, आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि बेलपत्र के पत्ते कहीं से कटे फटे नहीं होने चाहिए, आप बेलपत्र के पत्ते शिवजी की पूजा में एक से अधिक बार प्रयोग कर सकते हैं, परंतु आप इस बात का ध्यान रखें कि वह पत्ते सूखे नहीं होने चाहिए।