अध्यात्म

घर के मंदिर में भूल से भी ना रखे ये मूर्तियाँ, वरना घर बन जाएगा नर्क!

वास्तु शास्त्र के अनुसार सभी घरों में मंदिर बनाना आवश्यक है. क्यूंकि मंदिर में भगवान की उर्ती की स्थापना करने से घर में सुख स्मिर्द्धि और शांति बनी रहती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मेन गेट से लेकर कमरे, रसोई घर, सीढ़ियां, बेडरूम और यहां तक कि घर का मंदिर भी वास्तु दोष रहित होना चाहिए. वैसे तो घर की हर जगह वास्तु दोष रहत होनी चाहिए मगर मंदिरों की पवित्रता के लिए हमें ख़ास ध्यान देना चाहिए कि वहां किसी प्रकार का वास्तु दोष जन्म ना ले. यदि आप अपने घर में मंदिर की स्थापना का सोच रहे हैं तो उसके लिए आपको वास्तु, दिशा आदि का ख़ास ध्यान रखना चाहिए. क्यूंकि आपके घर में सुख शांति तभी कायम रहेगी, जब आपके घर का मंदिर पवित्र रहेगा.

मंदिर बनाने के लिए आप यह अच्छे से देख लें कि मंदिर वाले कमरे में अँधेरा ना हो और वहां हर रोज उचित रौशनी मौजूद हो. साथ ही मंदिर में धुल मिट्टी अर्थात गंदगी नहीं पहुंचनी चाहिए. इसके इलावा मंदिर में खंडित मूर्तियों की स्थापना भूल से भी न करें वरना आपका घर अपवित्रा हो जाएगा. आज हम आपको कुछ ऐसी ही मूर्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप कभी भी घर के मंदिर में ना रखिएगा नहीं तो आपको इसकी कीमत चुकाना महंगा पड़ सकता है.

भैरव देव को भगवान शिव का ही अवतार माना जाता है. हालांकि हम लोग वहां शिव की पूजा करना शुभ मानते हैं. परंतु घर के मंदिर में भूल से भी भैरव देव की मूर्ति की स्थापना नहीं करनी चाहिए. क्योंकि भैरव देव तंत्र विद्या के देवता माने जाते हैं और ऐसे में घर के अंदर उनकी उपासना करना अशुभ समय का संकेत देता है. ऐसे घर से मां लक्ष्मी भी रूठ जाती है और कभी मुड़कर नहीं देखती.

नटराज भी भगवान शिव का ही एक रूप है. मगर इनकी मूर्ति अपने घर के मंदिर में स्थापित करना अशुभ माना जाता है. दरअसल नटराज की मूर्ति भगवान शिव की मूर्ति के विध्वंसक रूप को दर्शाती है. ऐसा माना जाता है कि नटराज रूप में भगवान शिव स्वयं तांडव करते हैं. हालांकि दिखने में यह मूर्ति बेहद आकर्षक लगती है परंतु इस को अपने घर के मंदिर में भूल से भी ना रखें. ऐसा करने से घर में अशांति फैलती है और क्रोधित माहौल बना रहता है.

शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं. सूर्य हमारी जिंदगी में रोशनी का प्रतीक है. उजाला करने वाले सूर्य पुत्र यानी शनि देव की मूर्ति को घर के मंदिर में स्थापित ना करें. अगर आप शनिदेव की पूजा करना चाहते हैं तो उसको घर के किसी बाहर मंदिर में करें और इस मूर्ति को घर से दूर रखें. अगर आप इस मूर्ति को घर में स्थापित करते हैं तो इससे शनिदेव का प्रकोप आप पर बना रह सकता है.

शनिदेव की तरह ही राहु केतु की मूर्ति भी घर के मंदिर में नहीं स्थापित करनी चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि राहु एवं केतु तीनों ही पापी ग्रह हैं. ऐसे में इन तीनों की पूजा अर्चना करने से हम इन्हें पसंद तो कर लेते हैं लेकिन जीवन हमारे जीवन में कष्ट बढ़ जाते हैं. इन मूर्तियों को घर में स्थापित करने से हम इन मूर्तियों के साथउनसे  जुड़ी नकारात्मक ऊर्जा को भी अपने घर ले आते हैं.

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