अध्यात्म

तिरुपति बालाजी के मंदिर के इस रहस्यों को जानकर आपके उड़ जाएंगे होश

भारतीय सनातन धर्म में हिंदुओं के उपासना स्थल को मंदिर के नाम से जाना जाता है यह स्थान आराधना और पूजा अर्चना के लिए निश्चित किया हुआ स्थान है इस स्थान पर व्यक्ति किसी अराधना के प्रति अपना ध्यान लगा सकता है और यहां पर चिंतन किया जा सकता है इस स्थान पर मूर्ति रखकर उसकी पूजा अर्चना की जा सकती है यह स्थान मंदिर के नाम से जाना जाता है अगर हम मंदिर का शाब्दिक अर्थ जाने तो इसका मतलब घर होता है सनातन धर्म के मुताबिक जहां पर भगवान का निवास रहता है उसी स्थान को मंदिर कहा जाता है वैसे यह सभी बातें लगभग सभी लोगों को पता होगी कि भारत में धार्मिक लोगों की संख्या बहुत अधिक है इसके साथ ही लोग दान पुण्य भी करते हैं दान पुण्य का भी बहुत महत्व होता है।

भारत वर्ष में ऐसे बहुत से मंदिर स्थित है जहां पर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था देखी जा सकती है इन मंदिरों में दूर-दूर से लोग यहां पर दर्शन करने के लिए भारी की संख्या में आते हैं इसी तरह आंध्र प्रदेश के तिरूमाला पहाड़ों पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिरों में से एक है तिरुपति में स्थित यह प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक माना गया है यह मंदिर जितना प्राचीन है उतना ही अमीर भी है इस मंदिर में करोड़ों रुपए का चढ़ावा रोजाना चढ़ाया जाता है और इस मंदिर के कई राज भी है जिन रहस्य पर से अभी तक पर्दा नहीं उठा है आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इस मंदिर से जुड़े ऐसे कुछ रहस्यों के विषय में जानकारी देने वाले हैं जिसको जानने के बाद आपके होश उड़ सकते हैं।

आइए जानते हैं तिरुपति बालाजी के मंदिर के रहस्य के बारे में

  • दरअसल, हर गुरुवार को भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर सफेद चंदन का लेप लगाया जाता है यहां की मान्यता अनुसार जब इस लेप को हटाया जाता है तो मूर्ति पर माता लक्ष्मी जी के चिन्ह रह जाते हैं।
  • अगर आप अचानक से इनको देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि भगवान की मूर्ति गर्भ ग्रह के बीच में है परंतु असलियत में यह मंदिर के दाई ओर स्थित है ऐसा क्यों होता है इसके विषय में किसी को भी कोई जानकारी नहीं है।
  • इस मंदिर में बालाजी की मूर्ति पचाई कर्पूरम अर्पित किया जाता है जो कपूर मिलाकर बनाया जाता है यदि इसे किसी साधारण पत्थर पर अर्पित किया जाए तो वह कुछ ही समय में चटक जाता है परंतु मूर्ति पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है इसके पीछे की क्या वजह है इसको कोई नहीं जानता है।

  • इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर जो बाल लगे हुए हैं वह वास्तविक हैं और यह बाल बहुत ही मुलायम है और यह कभी भी उलझते नहीं है।
  • आपको इस बात को जानकर हैरानी होगी कि वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति का पिछला हिस्सा हमेशा नम रहता है ध्यान से सुनने पर इसमें से सागर की आवाज सुनाई देती है और यह आवाज कहां से आती है इसका अभी तक कोई पता नहीं लगा है।
  • ऐसा माना जाता है कि 18 वी शताब्दी में यहां के राजा ने 12 व्यक्तियों को मारकर मंदिर की दीवार पर लटका दिया था उस समय भगवान स्वयं ही यहां पर प्रकट हो गए थे और यह मंदिर 12 सालों तक नहीं खुला था।

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