तिरुपति बालाजी मंदिर के कुछ ऐसे अनोखे और चमत्कारिक रहस्य, जानकर सोच में पड़ जाएंगे आप
हमारे भारत में ऐसे बहुत से प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर हैं जिनके रहस्य अभी तक रहस्य ही बने हुए हैं अभी तक इन मंदिरों के चमत्कारों के बारे में किसी भी व्यक्ति को मालूम नहीं है इन्हीं मंदिरों में से एक भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर है जो आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में स्थित है इस मंदिर को सबसे अमीर देवता का मंदिर माना गया है इस मंदिर के अंदर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग दर्शन के लिए आते हैं और इस मंदिर के अंदर जिस व्यक्ति की जो श्रद्धा होती है उसके अनुसार यहां पर चढ़ावा चढ़ाया जाता है तिरुपति बालाजी मंदिर का दरबार अमीर और निर्धन दोनों के लिए ही खुला है हर वर्ष इस मंदिर के अंदर भारी संख्या में लोग भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं तिरुमाला की पहाड़ियों पर भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए काफी भीड़ लगी रहती है।
इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास देखने को मिलता है इस मंदिर के अंदर भगवान तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त अपने सच्चे दिल से इस मंदिर के अंदर कोई भी मनोकामना मांगता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है इस मंदिर को वेंकटेश्वर श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी लोग जानते हैं।
यह मंदिर दुनिया भर में काफी मशहूर है और इसका मशहूर होने का सबसे मुख्य कारण इसका अद्भुत चमत्कार है इस मंदिर से जुड़ी हुई बहुत सी मान्यताएं हैं ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर में जो वेंकटेश्वर स्वामी जी की मूर्ति है उस पर लगे हुए बाल असली है और यह बाल कभी भी उलझते नहीं है इनके बाल हमेशा मुलायम और कोमल रहते हैं स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां पर स्वयं भगवान विराजमान है अगर भगवान बालाजी की मूर्ति पर कान लगाकर सुना जाए तो इसमें से समुद्र की आवाज साफ-साफ सुनाई देती है इसी वजह से बालाजी की मूर्ति हमेशा नम रहती है इस मंदिर में मुख्य द्वार के दरवाजे के दाईं तरफ एक छड़ी है और इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस छड़ी से बाला जी के बाल रूप में पिटाई की गई थी जिसकी वजह से उनकी ठोड़ी पर चोट का निशान है इनकी ठोड़ी पर हमेशा चंदन का लेप लगाया जाता है ताकि उनका घाव भर सकें।
इस मंदिर के अंदर बालाजी महाराज के ऊपर जो क फूल पत्ते अर्पित किए जाते हैं वह कभी भी भक्तों को नहीं दिए जाते हैं बल्कि इस मंदिर के पीछे स्थित एक जल कुंड में पीछे देखे बिना विसर्जित किया जाता है क्योंकि इसको देखना और रखना अच्छा नहीं माना गया है जो यहां पर चढ़ाने के लिए फूल पत्तियां और वस्तुएं लाई जाती है वह इस मंदिर से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित एक गांव से खरीद कर लाया जाता है इस गांव के अंदर किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध माना गया है भगवान तिरुपति बालाजी को रोजाना नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है यह स्थान पर्यटकों के लिए बहुत ही पसंदीदा स्थान बन चुका है इस स्थान पर लोग तिरुपति बालाजी महाराज के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।