बकरीद पर मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, विपक्ष को लगा करारा झटका
नई दिल्ली: इस्लाम धर्म में ईद सबसे बड़ा और पवित्र त्यौहार माना जाता है. इस त्यौहार को ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है. ईद के एक महीना पहले मुस्लिम लोग रोज़े रखते हैं. इस साल यानी 2018 में बकरीद 21 या 22 अगस्त को मनाई जा रही है. मुस्लिम धर्म में बकरीद के इस दिन को फ़र्ज़-ऐ-कुर्बानी का दिन भी कहा जाता है. इस मौके पर हर मुस्लिम बकरे या किसी अन्य पशु की कुर्बानी देते हैं. भारत देश में रहने वाले मुस्लिम भी इस त्यौहार को काफी उत्साह से मनाते हैं और बेजुबान जानवरों की बलि देते हैं. लेकिन, इस बार मोदी सरकार ने इस बकरीद पर एक बड़ा फैसला ले लिया है.
बताया जा रहा है कि मोदी सरकार ने इस बकरीद पर पूरे भारत में बकरे एवं अन्य जानवरों की कुर्बानी पर रोक लगा दी है. ख़बरों की माने तो मोदी जी का यह फैसला जानवरों के हितों को मुख्य रख कर लिया गया है. इस बार देश में सभी बंदरगाहों से पशुधन निर्यात पर सरकार ने अनिश्चितकालीन रोक लगा दी है. यह बड़ा कदम मोदी सरकार ने जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं की मांग पर उठाया है.
इस संस्था ने की थी गुज़ारिश
मोदी जी के इस फैसले के पीछे पशुओं की एक संस्था PETA का हाथ बताया जा रहा है. दरअसल इस संस्था ने राज्य सरकार को एक पत्र द्वारा यह मांग की कि बकरीद के अवसर पर पशुओं की अवैध तरीके से कुर्बानी को रोकने के लिए सरकार सख्त से सख्त कदम उठाए. पेटा की इस मांग के अनुसार केवल लाइसेंस वाले बूचड़खानों में ही पशुओं का वध किया जाए. जिसके बाद से ही सरकार ने अवैध बूचड़खानों में बकरे एवं पेड़ों की बलि को रोक दिया है. बकरी से पहले मिडल- ईस्ट के देशों में करीबन 2 लाख बकरियां और भेड़े भेजी जानी थी लेकिन अब इस फैसले के बाद उन भेड़ बकरियो को नही भेजा जा सकता. इससे निर्यातकों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है.
निर्यातकों द्वारा हो रहा है जमकर विरोध
वहीं दूसरी और निर्यातक सरकार द्वारा उठाए गए इस फैसले के विरोध में खड़े हैं और जमकर नारेबाजी में जुटे हुए हैं. कुछ निर्यातकों के अनुसार जहाज मालिकों ने यात्रा की विशेष अनुमति मांगी थी जिसे मंत्रालय ने मान लिया था. ऐसे में सरकार के इस फैसले से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. निर्यातकों के अनुसार उन्होंने कई विदेशी ग्राहकों से एडवांस रकम वसूली थी ऐसे में अगर उन्हें बकरियों को विदेशों में नहीं भेजा जाता तो उन्हें भारी हर्जाना भुगतना पड़ सकता है.
इतना हो सकता था फायदा
अब बात अगर फायदे की करें तो वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल 2013 से 14 के बीच में मवेशियों का एक्सपोर्ट 69.30 करोड़ रुपए था जोकि अगले दो सालों में बढ़ कर 527.40 करोड़ रूपये हो गया. वहीँ बात अगर साल 2017-18 की करें तो यह राशी घाट कर 411.02 करोड़ रूपये रह गया. अब मोदी सरकार के इस एक्सपोर्ट पर रोक लगाने के बाद निर्यातकों के इस आंकड़े में कईं गुना गिरावट देखने को मिलेगी.