माता के मंदिर में चरण पादुका के दर्शन करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, दूर-दूर से आते है लोग
हमारे देश में ऐसे बहुत से देवी मंदिर है जिनकी अपनी अपनी खासियत और विशेषता है, देशभर में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं और इन सभी शक्तिपीठों का अपना अपना अलग महत्व माना गया है, इन शक्तिपीठों से जुड़ी हुई ऐसी बहुत सी कहानियां है जो देवी माता की शक्तियों की व्याख्या करता है, इन शक्तिपीठों के प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है इन्हीं शक्तिपीठों में से एक हम आपको एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां भक्तों को दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है जी हां, इस मंदिर के अंदर देवी मां के चरण पादुका मौजूद है जो भक्त इनके दर्शन करता है उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हम आपको देवी मां के जिस शक्तिपीठ के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह अर्बुदा देवी मंदिर को अधर देवी शक्तिपीठ के नाम से लोग जानते हैं, देवी मां का यह मंदिर राजस्थान के माउंट आबू से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक पहाड़ी पर बना हुआ है, इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी पार्वती के होंठ गिरे थे इसलिए यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हुआ है, इस मंदिर के अंदर माता अर्बुदा देवी की पूजा माता कात्यायनी देवी के रूप में होती है, क्योंकि अर्बुदा देवी माता कात्यायनी का ही स्वरुप कही जाती है, इस मंदिर के अंदर वैसे तो सालभर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है परंतु नवरात्रों के समय इस मंदिर के अंदर जैसे भक्तों का सैलाब आ जाता है, दूर-दूर से लोग इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए आते हैं ऐसा कहा जाता है कि देवी मां के दर्शन मात्र से ही भक्तों को मोक्ष मिल जाता है।
इस मंदिर के अंदर भक्त माता के दर्शन के लिए सैकड़ों मील की यात्रा पूरी करके आते हैं, इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 350 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है तभी माता के दर्शन होते हैं, इस मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा भी मौजूद है और इस गुफा के अंदर दीपक निरंतर जलता रहता है, इसी प्रकाश से भगवती के दर्शन किए जाते हैं, ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व की गई थी जो माता के दर्शन करता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, इस मंदिर के अंदर अर्बुदा देवी के चरण पादुका मौजूद है चरण पादुका के नीचे उन्होंने बासकली राक्षस का संहार किया था पुराणों में भी इसका जिक्र किया गया है।
एक पौराणिक कहानी के मुताबिक ऐसा बताया जाता है कि दैत्य राजा कली जिसको बासकली के नाम से जानते थे उसने हजारों वर्ष तक भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी, भगवान भोलेनाथ उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसको अजय होने का वरदान दिया था, वरदान पाने के बाद बासकली घमंड से चूर हो गया था और उसने देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को अपने कब्जे में ले लिया था जब इस राक्षस से सभी देवता दुखी हो गए तो वह जंगलों में छिप गए थे, तब देवताओं ने कई सालों तक माता अर्बुदा देवी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी माता ने प्रसन्न होकर तीन रूपों में दर्शन दिए थे, तब देवताओं ने माता से बासकली राक्षस से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की थी और उन्होंने देवताओं को यह वरदान दिया, तब माता ने बासकली राक्षस को अपने चरणों से दबा कर उसका वध किया था, तभी से माता के चरण पादुका इस मंदिर में स्थापित है।
अगर आप इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं तो रेल और वायु मार्ग द्वारा जा सकते हैं अगर आप वायु मार्ग से इस मंदिर में जाते हैं तो उदयपुर की उड़ान लेनी होगी जो यहां से लगभग 185 किलोमीटर की दूरी पर है पूरे साल भर यहां का मौसम बहुत ही अच्छा रहता है परंतु अगर आप गर्मियों के मौसम में यहां की सैर करते हैं तो यह बहुत ही बेहतर माना गया है।