माता पारवती के पसीने की बूंद से हुई थी पेड़ की रचना, जानिए पूरा सच !!
हिन्दू धर्म से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि बेलपत्र क्या है।हिन्दू धर्म मे बेलपत्र को भी ही महत्व दिया जाता है।हिन्दू धर्म से जुड़ा हर व्यक्ति शिव भक्त तो जरूर होता है और शिव जी को प्रसन्न करने हेतु हर शिव भक्त सोमवार के दिन अनेक प्रयास करते है।इनमे से एक प्रयास होता है शिव जी बेलपत्र चढ़ाना।हम सभी ऐसा करते तो है लेकिन शायद की कोई ऐसा मनुष्य होगा जो जनता होगा इसके पीछे कारण क्या है।
चलिए आज हम आपको बताते है कि आखिर क्या है बेलपत्र की पीछे का रहस्य।क्यूंकि बिना जानकारी के किया गया काम पूर्ण नही होते इसलिए आपके लिए जरूरी है ये जाना !!
बेलपत्र की कहानी-
पुराणो के अनुसार एक बार माता पार्वती कहीं जा रही थी तो बहुत ही गरमी होने के कारण उनके पसीने की एक बूंद मंदृंचल पर्वत पर गिरी और इसी पसीने की एक बूंद से बेलपत्र के वृक्ष की रचना हुई।इसी वजह से इस वृक्ष की हिन्दू धर्म मे बहुत ही मान्यता है।
पुराणो द्वारा ये भी बताया गया है कि बेलपत्र वृक्ष के हर एक अंश में माता पार्वती बस्ती है।जानिए कहाँ बस्ती है माता पार्वती।वृक्ष की जड़ में माता पार्वती गिरिजा के रूप में है,वृक्ष के तनों में माता पार्वती माहेश्वरी के रूप में स्तिथ होती है,फूलो में कात्यानी और फलों में गौरी रूप स्वरूप करता है।
इसके अलावा पूरे ही वृक्ष में माता पार्वती वास करती इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस पेड़ को बहुत ही महत्व दिया गया है।इसी कारण बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव खुश होते है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है।