अध्यात्म

माता के इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी हर मुराद होती है पूरी, मनचाही शादी का मिलता है आशीर्वाद

देशभर में आस्था पर विश्वास रखने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है, हमारे देश में हर गली में आपको किसी ना किसी देवी देवता का मंदिर अवश्य देखने को मिल जाएगा, और इन मंदिरों में सभी लोग अपनी श्रद्धा भाव के साथ भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, देशभर में ऐसे बहुत से देवी मंदिर है जो अपनी किसी ना किसी विशेषता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, कुल 51 शक्ति पीठ बताए गए हैं और देवी मां के इन शक्तिपीठों में से एक कात्यायनी शक्तिपीठ बहुत ही मशहूर है, माता का यह शक्ति पीठ वृंदावन में स्थापित है, देवी मां का जिस प्रकार हर शक्तिपीठ में अंग गिरे थे, ठीक उसी प्रकार इस स्थान पर माता के केश गिरे थे, शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इस स्थान पर देवी माता के साथ-साथ भैरव जी की भी पूजा होती है, इस मंदिर के अंदर भैरव की भूतेष के रूप में पूजा होती है, वैसे तो इस मंदिर के अंदर साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है परंतु नवरात्रि के दिनों में इसके अंदर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है, देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां पर मौजूद होते हैं।

इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के अंदर राधा ने भगवान श्री कृष्ण जी को पाने के लिए पूजा अर्चना की थी, अगर हम ग्रंथों के अनुसार देखे तो इसमें इस चीज का उल्लेख किया गया है कि गोपियों ने भगवान श्री कृष्ण जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए राधा के साथ साथ माता कात्यायनी देवी की भी पूजा की थी, उसी समय से लेकर अभी भी यहां पर कुंवारी लड़कियां माता से इच्छा अनुसार वर प्राप्ति के लिए मनोकामना मांगती है, इस मंदिर के अंदर भक्त हजारों की संख्या में आते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं।

इस मंदिर को लेकर लोगों की ऐसी मान्यता है कि जो भक्त अपने सच्चे मन से यहां मुराद मांगता है उसकी मुराद माता रानी बहुत ही जल्दी पूरी करती है, खासतौर से कुंवारी लड़कियां और कुंवारे लड़के नवरात्रि के दौरान यहां पर आते हैं और मनचाहे वर और वधू प्राप्ति की मनोकामना पूर्ति के लिए माता माता का आशीर्वाद लेते हैं, माता रानी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

यहां के लोगों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जी ने कंस का वध करने से पहले यमुना किनारे पर माता कात्यायनी को कुलदेवी मानकर बालू से माता की प्रतिमा बनाई थी, उस प्रतिमा की पूजा करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण जी ने कंस का वध किया था, हर वर्ष नवरात्रि के दिनों में यहां पर मेले का आयोजन भी होता है, माता कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर का निर्माण फरवरी 1923 में स्वामी केशवानंद ने करवाया था, जो भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं उनको मन और दिल की शांति प्राप्त होती है, इस स्थान का वातावरण बहुत ही आध्यात्मिक है, इस मंदिर के प्रति लोगों का अटूट विश्वास जुड़ा हुआ है।

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