इन वजहों से भगवान राम को कहा जाता है मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम
भगवान राम जिनका नाम व्यक्ति जीवन शुरू होने से लेकर के अंत कर लेता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में राम जैसा पुत्र हो और सीता जैसी बहु और लक्ष्मण जैसा भाई और हनुमान जी जैसा सेवक हो। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जीवन पर यदि नजर दौड़ाएं और उनके गुणों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें तो हमारा जीवन भी सुखमय हो जायेगा। आज हम आपको भगवान राम के जीवन के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में बताएंगे जिनको जानकर और उन पर अमल करके आप भी अपने जीवन को भगवान राम जितना गुणवान बना सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि किन गुणों की वजह से आज उनको मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम कहा जाता है।
इन गुणों ने बनाया मर्यादा पुरुषोत्तम
बता दें कि भगवान राम अपने आदर्श चरित्र के लिए जाने जाते हैं। बता दें कि भगवान राम के जन्म से पहले सुर और असुर का ही नाम अधिक लिया जाता था। यहां तक की लोगों के बीच में मानवता का कोई महत्व ही नहीं थी। भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम इसी लिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने किसी भी परिस्थिति में अपनी मर्यादा नहीं छोड़ी है। अपने अलौकिक स्वभाव, अद्भुत कार्य, उत्तम शील, अद्वितीय वीरता, अनुकरणीय सहनशीलता, विनम्रता, धर्म-प्रियता, परोपकार, स्वार्थ-त्याग के चलते लोगों के मन में अपने प्रति अति प्रेम जमा लिया था।
राम के गुणों की लीला
बता दें कि राम के जीवन से जुड़ी उनके गुणों से जुड़ी हुई रामलीला भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम हिस्सों में होती है। जिसमें रामकथा का गायन लोगों का मन मोह लेता है और मंचन उनके सात्विक संस्कारों से अभिमंत्रित करता है।
तुलसीदास जी ने प्रारंभ की रामलीला!
बता दें कि रामचरित मानस के प्रचार-प्रसार के लिए तुलसीदास जी ने ही रामलीला की शुरूआत की थी। हालांकि तुलसीदास जी के पहले भी रामलीला के पहले भी रामकथा के गायन और उनके चरित्र के नाट्य स्वरूप का जिक्र मिलता है। बता दें कि बाल्मीकि रामायण में लवकुश रामकथा का गायन करता है। इसी तरह महाभारत में तथा हरिवंश पुराण में भी राम के चरित्र को लेकर नाटक का उल्लेख किया गया है।
कितने प्रकार की होती है लीला
आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो लीलाएं तीन प्रकार की होती है –
नित्य लीला — यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में दिन-प्रतिदिन घट रही है।
अवतार लीला – इसमें ईश्वर मानव जाति के कल्याण के लिए पृथ्वी पर जन्म लेते हैं।
अनुकरण लीला – इस लीला के जरिए मनुष्य ईश्वर के अवतार का अनुकरण करने का प्रयास करता है।
सिर्फ दुष्टों का किया अंत, नहीं उठाया कोई लाभ
बता दें कि श्रीराम ने हमेशा से ही दूसरों के भले के लिए ही कार्यों को किया है, उन्होंने अपने जीवन में कोई निजी लाभ नहीं उठाया है। उन्होंने अपना राज्य अपने भाइयों को सौंपकर 14 वर्ष का वनवास करने के लिए चले गए। वापस आकर भी प्रजा के भले के लिए ही सोचा उनके दुखों का निवारण किया। बता दें कि रामायण और राम चरित्र का तथ्य ही यह है कि न्यायी की सहायता पशु-पक्षी भी करते हैं और कुमार्ग में चलने वाले अन्यायी का साथ उनके सगे भाई भी छोड़ जाते हैं।
तारक नाम है राम
वहीं राम नाम के अर्थ को धर्म शास्त्रों में अमोघ कहा गया है। इस नाम में इतनी शक्ति होती है जो इस संसार को क्या, परलोकों के संकट काटने में भी सक्षम होता है। ऐसा माना गया है कि अंतिम समय में राम का नाम लेने वाला व्यक्ति को मोक्ष को प्राप्ति होती है। रामचरितमानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की बहुत महिमा गाई है —
“रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”
अर्थात् राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है, जिसे अगर सच्चे हृदय से जपा जाए तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं, मन को परम शांति मिलती है।
विदेशों में भी है राम नाम की धूम
बता दें कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम जी के नाम की धूम सिर्फ देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी है। पूरे विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां पर उनकी जीवन लीलाएं दोहराई जाती हैं। सुमात्रा, जावा, कोरिया, मलेशिया आदि अनेक देशों में अति प्राचीन काल से राम कथा प्रचलित है। बता दें कि कई देशों में वो लोग रामलीला करते हैं जो हिंदु धर्म के हैं भी नहीं।