मकर संक्रांति पर होता है जल का खास महत्व, पानी से करें ये 4 उपाय, पूरे साल होगी पैसों की बारिश
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति (Makar sankranti) को धूमधाम से मनाया जाता है। यह साल का पहला त्यौहार भी होता है। इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। इस दिन से हिंदू धर्म में शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन जल का काफी महत्व होता है। यदि आप मकर संक्रांति पर जल से जुड़े कुछ खास उपाय करें तो आपको अत्यधिक लाभ मिलता है।
मकर संक्रांति पर करें जल के उपाय
1. मकर संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय के पहले स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद जब सूर्यदेव आकाश में दिखाई दें उन्हें जल से अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
2. मकर संक्रांति के दिन भोजन करते समय आप अपने पानी का गिलास दाएं हाथ की तरफ रखें। फिर भोजन के पूर्व थोड़ा सा जल्द खाने की थाली के चारों ओर घुमाकर धरती माता को अर्पित कर दें। इससे घर में बरकरत बनी रहती है।
3. मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह शिव मंदिर जाएं। यहां शिवलिंग पर जल अर्पित करें। इस दौरान भगवान से अपनी कोई भी समस्या बोलें। कुछ ही दिनों में आपकी वह समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होगी।
4. मकर संक्रांति के दिन खास वृक्षों को जल चढ़ाना शुभ माना जाता है। इस दिन आपको तुलसी को जल अर्पित करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी। वहीं पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होगी।
14 या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति की तिथि को लेकर हर वर्ष लोग दुविधा में रहते हैं। इस बार भी 14 जनवरी और 15 जनवरी को लेकर लोगों में कंफ्यूज है। पंडित जितेंद्र शास्त्री की माने तो इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023 Date) 15 जनवरी को है। हिंदू पंचांग में सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करने वाला है। और इस सूर्य का उदय 15 जनवरी को हो रहा है। इसलिए इस वर्ष 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
इसलिए मनाते हैं मकर संक्रांति
हर वर्ष मकर संक्रांति मनाने कि एक खास वजह होती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दौरान मकर राशि का प्रतिनिधित्व शनि कर रहे होते हैं। शनि रिश्ते में सूर्य के पुत्र हैं। हालांकि पिता और पुत्र की आपस में नहीं बनती है। अपने इस मतभेद को भुलाने के लिए ही वे शनि की राशि मकर में गोचर करते हैं। इसलिए हम भी इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं।