माता का अकेला मंदिर जहां कपाट खुलने से पहले ही हो जाती है, इसका रहस्य नहीं जान पाया कोई
देवी मां से जुड़े हुए देशभर में बहुत से मंदिर मौजूद हैं, जहां पर भक्त अपनी-अपनी परेशानी लेकर पहुंचते हैं और माता के आशीर्वाद से उनकी सभी परेशानियों का निवारण होता है, देश भर में ऐसे बहुत से चमत्कारिक मंदिर है जो रहस्य से भरे हुए हैं, जिनका रहस्य अभी तक कोई भी नहीं जान पाया है, इन मंदिरों में ऐसे-ऐसे चमत्कार देखने को मिलते हैं जिसको देखकर या फिर जानकर व्यक्ति काफी आश्चर्यचकित हो जाता है, आज हम आपको एक ऐसे ही माता के मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो अपने रहस्य और चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, ऐसा बताया जाता है कि जब शाम की आरती होने के पश्चात मंदिर के दरवाजे बंद करके पुजारी नीचे चले जाते हैं तब इस मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा की आवाजें आने लगती है।
हम आपको जिस माता के मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मध्यप्रदेश के सतना जिले में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है, जिसको माता मैहर देवी का मंदिर कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर सती का हार गिरा था, जिसकी वजह से यह शक्तिपीठों में से एक माना गया है, माता रानी के दर्शन करने के लिए लगभग 1063 सीढ़ियां भक्तों को चढ़ने पड़ती है, मैहर मंदिर मां शारदा का देश का एकलौता मंदिर माना जाता है, जहां पर दरवाजा खोलने से पहले ही माता रानी की आरती हो जाती है, लोगों का ऐसा मानना है कि माता के भक्त आल्हा अभी भी इस मंदिर के अंदर पूजा करने के लिए आते हैं, सुबह की आरती आल्हा और उदल के द्वारा ही होती है।
इस मंदिर के पुजारी का ऐसा बताना है कि अभी भी आल्हा इस मंदिर में मां शारदा की पूजा करने के लिए सुबह के समय मंदिर आते हैं, इनके द्वारा ही पहला श्रृंगार किया जाता है, जब ब्रह्म मुहूर्त में इस मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं तो माता रानी की पूजा पहले ही हुई रहती है, आखिर इसके पीछे क्या रहस्य है? इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने बहुत कोशिश की, परंतु इसके बारे में अभी तक कुछ भी पता नहीं लगा, ऐसा बताया जाता है कि आल्हा की भक्ति और वीरता से प्रसन्न होकर मां शारदा ने उनको अमरता का वरदान दिया था।
यहां के स्थानीय लोगों के बीच प्रचलित कहानियों के मुताबिक ऐसा बताया जाता है कि मैहर का नाम मां शारदा मंदिर के कारण ही प्रचलन में आया है, हिंदू श्रद्धालु माता रानी को माँ या माई के रूप में संबोधित करते हैं, माई का घर होने की वजह से पहले माई घर और फिर धीरे-धीरे मेहर के नाम से इसको पुकारा जाने लगा है, इसके अलावा एक दूसरी मान्यता भी बताई जाती है कि जब भगवान शिव जी अपने कंधे पर माता सती के शव को लेकर तांडव नृत्य कर रहे थे तब उस दौरान माता सती के गले का हार त्रिकूट पर्वत के शिखर पर आ गिरा था, इसी कारण से यह स्थान शक्तिपीठ कहलाया जाता है और इसका नाम माई का हार के आधार पर मेहर के नाम से जाने जाना लगा।
मैहर देवी माता मंदिर में दूर-दराज से श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं, ऐसा बताया जाता है कि जो सच्चे मन से माता से अपनी मुराद मांगता है उसकी मनोकामना माता रानी अवश्य पूरी करती है, इस मंदिर के प्रति लोगों का अटूट विश्वास जुड़ा हुआ है, हर दिन माता के इस दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।