कृष्ण जी के अलावा महाभारत युद्ध के दौरान इन भगवानों ने भी निभाई थी अहम भूमिका
महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण जी की अहम भूमिका रही थी और भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों की मदद इस युद्ध में की थी। लेकिन भगवान श्री कृष्ण के अलावा और भी ऐसे पांच देवता थे जिन्होंने इस युद्ध में भाग लिया था और युद्ध में पांडवों की सहायता की थी। वहीं वो कौन-कौन से देवता थे जिन्होंने महाभारत युद्ध में पांडवों का साथ दिया था और किस तरह से इनकी मदद की थी इसकी जानकारी इस प्रकार है –
महाभारत युद्ध के दौरान इन भगवानों ने निभाई थी अहम भूमिका –
भगवान हनुमान
महाभारत ग्रंथ के अनुसार पांडवों को जब वनवास दिया गया था, तो वनवास के दौरान भीम ने भगवान हनुमान जी से शिक्षा ग्रहण की थी। साथ में ही हनुमान ने भीम को आशीर्वाद भी दिया था और कहा था कि वो युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ के ध्वज पर विराजित होकर इस युद्ध में पांडवों की मदद करेंगे।
भगवान सूर्य
भगवान सूर्य के वरदान की वजह से ही कुंती विवाह से पहले मां बनी थी और कुंती की पहली संतान कर्ण थे। वहीं महाभारत का युद्ध शुरु होने के दौरान भगवान सूर्य ने कर्ण को इस बात से आगह किया था कि इंद्र देव छल से कवच और कुंडल उनसे मांगने वाले हैं। ये पता होने के बाद भी कर्ण ने इंद्र को अपना कवच और कुंडल दान के रुप में दे दिया था। इन दोनों चीजों का दान करने के चलते ही कर्ण अर्जुन से युद्ध हार गए थे।
भगवान इंद्र
महाभारत ग्रथ के अनुसार अर्जुन इंद्र के पुत्र के थे और इसी कारण से इस युद्ध मे इंद्र ने अर्जुन की खूब मदद की थी। ऐसा कहा जाता है कि इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से वचन लिया था कि वो अर्जुन की रक्षा करेंगे और इंद्र देव के इसी वचन के कारण कृष्ण जी ने अर्जुन की मदद इस युद्ध के दौरान की थी।
भगवान शिव जी
भगवान शिव से मिले आशीर्वाद की वजह से ही अर्जुन दिव्यास्त्र हासिल कर पाने में कामयाब हुए थे। महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने भगवान शिव का कठोर तप किया था और इस तप से खुश होकर भगवान शिव ने अर्जुन को पाशुपतास्त्र दिया था। पाशुपतास्त्र की मदद से ही अर्जुन स्वर्ग के दरवाजे खोल पाए थे और इस जगह से अर्जुन को दिव्यास्त्र मिले थे।
भगवान ब्रह्मा
इस युद्ध के दौरान अश्वत्थामा और अर्जुन ने अपने-अपने ब्रह्मास्त्र को एक दूसरे के विरुद्ध छोड़ा था। लेकिन ब्रह्मा जी ने तभी आकर इन दोनों को अपना-अपना ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा था। दरअसल ब्रह्मास्त्र के छोड़ने से इस संसार का विनाश हो जाता और संसार को बचाने के लिए ब्रह्मा जी ने ब्रह्मास्त्र को वापस लेने का आदेश अर्जुन और अश्वत्थामा को दिया था।
ब्रह्मा जी का आदेश पाते ही अर्जुन ने अपने ब्रह्मास्त्र को वापस ले लिया था। जबकि अश्वत्थामा ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस लेने से मना कर दिया था और ब्रह्मास्त्र को अर्जुन की बहु उत्तरा के गर्भ की और छोड़ दिया था।