माता के इस दरबार में धरना देने से मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति, भक्तों की उमड़ती है भीड़
हमारे देश भर में बहुत से धार्मिक स्थल मौजूद है और इन सभी धार्मिक स्थल के मंदिरों का अपना अलग-अलग महत्व माना गया है, इन सभी से अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई है, अक्सर लोग इन स्थानों पर जाकर अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने की प्रार्थना करते हैं, ऐसा बताया जाता है कि इन मंदिरों में अक्सर कोई ना कोई चमत्कार अवश्य देखने को मिलता है, जिसके प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है परंतु आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि यहां पर जो भक्त 30 दिनों तक धरना देता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है जी हां, आप लोग बिल्कुल सही सुन रहे हैं इस मंदिर में धरना देने वाले भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
दरअसल, आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर बिहार के जमुई में स्थित है, जमुई रेलवे स्टेशन के ठीक सामने मलयपुर में यह मंदिर बना हुआ है, इस मंदिर को जमुई का गौरव माना जाता है, यह काली माता का मंदिर है जिसको माँ नेतुला मंदिर के नाम से लोग जानते हैं।
माता के इस दरबार के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जिन भक्तों को आंखों से संबंधित परेशानियां होती हैं अगर वह मां नेतुला के दरबार में आता है तो उसकी आंखों से संबंधित सभी विकार दूर हो जाते हैं, माता के दरबार में आंखों से संबंधित रोगों से परेशान स्त्री और पुरुष भारी संख्या में यहां पर आते हैं और अपनी परेशानियों से छुटकारा पाते हैं, जो भक्त अपने सच्चे मन से 30 दिनों तक धरना देता है उसकी मुरादें पूरी हो जाती है।
माता नेतुला मंदिर का इतिहास
अगर हम इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करें तो इसका इतिहास हजारों साल पुराना बताया गया है, एक समय भगवान महावीर जब घर त्याग कर ज्ञान की तलाश में निकल पड़े थे तब उन्होंने प्रथम दिन माता नेतुला मंदिर परिसर स्थित वटवृक्ष के नीचे रात के समय विश्राम किया था, ऐसा बताया जाता है कि इसी जगह पर भगवान महावीर जी ने अपने वस्त्र त्याग किए थे, जैन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ कल्पसूत्र में भी इस बात का उल्लेख किया गया है।
माता के दरबार में रोजाना भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है परंतु मंगलवार के दिन भक्त भारी संख्या में माता के दर्शन करने के लिए आते हैं, नवरात्रि के दिनों में माता नेतुला की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जब माता के इस दरबार में भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तब यहां पर भक्त सोने या फिर चांदी की आंखें चढ़ाकर जाते हैं, इस मंदिर में साल भर नेत्र रोगों से परेशान लोग आते जाते रहते हैं, इस मंदिर की अपनी एक अलग ही विशेषता मानी गई है, इस मंदिर में आकर लोग अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं।
भले ही हमारे देश में बहुत से मंदिर मौजूद है परंतु इन मंदिरों की अपनी एक अलग ही विशेषता और चमत्कार है, जिसके प्रति लोगों का विश्वास जुड़ा हुआ है, लोग अपने मन में आश लिए भगवान के दरबार आते हैं और भगवान की कृपा से उनकी सभी परेशानियों का समाधान हो जाता है।