अध्यात्म

कलयुग में फिर अवतार लेंगे भगवान विष्णु, जानिये कहाँ और कब लेंगे जन्म

कलयुग में फिर अवतार लेंगे भगवान विष्णु, जानिये कहानी और कब लेंगे जन्म इस दुनिया में जब भी पाप बढ़ा है, भगवान विष्णु स्वयं धरती पर जन्म लेकर पापियों का विनाश करते आए हैं. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार कलयुग के अंत में एक बार फिर से भगवान विष्णु अवतार लेंगे और दुष्टों का सर्वनाश करेंगे. विष्णु भगवान के इस कलयुगी रूप को लोग कल्कि के नाम से जानेंगे. भगवत गीता में भी भगवान विष्णु के कलयुग में कल्कि के अवतार लेने के बारे में एक श्लोक मौजूद है. ऐसा श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद में लिखा गया है.  आज के इस आर्टिकल में हम आपको भगवान विष्णु के कल्कि अवतार और उनके आने वाले मंदिर से जुडी कुछ रोचक जानकारियों से रूबरू करवाने जा रहे हैं.

सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।

भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।

अर्थ: इस श्लोक के अनुसार कलयुग के अंत में शम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक एक ब्राह्मण जन्म लेंगे. इन्ही के घर कल्कि नामक एक संतान पैदा होगी जो कि हकीकत में भगवान विष्णु का ही एक रूप होगा.

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि भगवत गीता के इस श्लोक में जिस जगह के बारे में बात की गई है, अब वह भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के मुरादाबाद जिले में मौजूद है. जिसको अधिकतर लोग संभल नाम से जानते हैं. एक तरह से हम यह कह सकते हैं कि कलयुग के अंत में भगवान विष्णु इसी जगह में कल्कि नामक बालक के रूप में जन्म लेंगे और अपने देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करके धर्म की फिर से स्थापना करेंगे.

इस दिन जन्म लेगा कल्कि का अवतार

धर्म ग्रंथों में लिखा है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि का अवतार होगा. इसीलिए इस दिन को लोग कल्कि जयंती के नाम से भी जानते हैं और इस दिन को एक त्योहार की तरह धूम धाम से मनाते हैं. श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार विष्णु के कल्कि का अवतार कलयुग एवं शक्तियों के संधिकाल में होगा इसके इलावा कल्कि का यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा.

आपको बता दें कि भगवान विष्णु के कल्कि का प्राचीन विष्णु मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में आज भी मौजूद है. पुराने समय में लोग संभल जिले को शंबल के नाम से जानते थे. संभल में मौजूद कल्कि विष्णु मंदिर का इतिहास बेहद रोचक एवं अनोखा है. पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के 2 रूपों के बारे में बात कही जाती है एक तरह का सुखद शांति एवं कोमल रूप में दिखाई देते हैं. इस रूप में वह शेषनाग के आसन पर बैठे हैं वहीं दूसरी ओर उनका चेहरा कुछ अलग प्रतीत होता है.

भगवान विष्णु के बारे में शास्त्रों में लिखा है-

शान्ताकारं भुजगशयनं!!

यानी भगवान विष्णु के इस रूप को देख कर पहली बार हर किसी के मन में आता है कि एक शाम के राजा के ऊपर बैठा व्यक्ति इतना शांत भला कैसे हो सकता है? गौरतलब है कि इस सवाल के दिमाग में आते ही तत्काल जवाब भी मिल जाता है कि भगवान को किसी चीज से डरने की आवश्यकता नहीं होती और उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. इसलिए नाग देवता के ऊपर बैठने के बावजूद भी भगवान के मुख पर किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं झलकती.

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